मुख्यमंत्री ने दिव्यांश विश्वविद्यालय चित्रकूट में आठवे दीक्षांत समारोह किया संबोधित

उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) विश्वविद्यालयों ने तैत्रेय उपनिद् की शिक्षाओं को आत्मसात किया होता तो विश्वविद्यालय अराजकता के केन्द्र न होते – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट को दिव्यांगजन साक्तिकरण विभाग से जोड़कर अधिक से अधिक सहायता प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान की जायेगी – योगी आदित्यनाथ संतो की पाचं सौ वर्ष की साधना के बाद रामजन्म भूमि का फैसला आया है अब अयोध्या में शीघ्र बनेगा भव्य राममंदिर – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 

चित्रकूट- यदि विश्वविद्यालयों ने तैत्रेय उपनिद् की शिक्षाओं को आत्मसात किया होता तो विश्वविद्यालय अराजकता के केन्द्र न होते। मा0मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ ने उपरोक्त विचार जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के आठवें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय प्राचीन गुरूकुल की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए देश और दुनिया के दिव्यागों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध करा रहा है। इसके साथ ही यह विश्वविद्यालय दिव्यांगों की प्रतिभा का विकास कर उनको रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में सराहनीय कार्य कर रहा है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुलाधिपति पदक व उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि आप लोग देश,समाज और राष्ट्र की सेवा के लिए निरन्तर कार्य करते रहें। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही दिव्यांग अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते रहे हैं। सूरदास जी की कविताओं को कौन नहीं जानता है। इसी प्रकार आधुनिक समय में महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिन्स ने ब्रम्हांड के रहस्यों को उजागर कर अपनी अप्रतिम प्रतिभा का लोहा मनवाया। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं बहुत ही सौभाग्याली हैं जिन्हें इस विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ है और रामभद्राचार्य जैसे पूज्य स्वामी जी का मार्ग दर्शन प्राप्त हो रहा है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना आई.टी. विभाग के अधीन की गई थी किन्तु अब इस विश्वविद्यालय को दिव्यांग जनसाक्तिकरण विभाग से जोड़कर अधिक से अधिक सहायता प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान की जायेगी जिससे दिव्यांगों की शिक्षा के लिए अच्छी से अच्छी व्यवस्था हो सके। उन्होंने कहा कि मा0 प्रधानमंत्री मोदी जी ने विकलांगों को दिव्यांग का पदनाम देकर उन्हें नई पहचान दी है तथा मा0 प्रधानमंत्री जी ने दिव्यांगों को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए व्यवस्था की है। मा0 प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से प्रदेश सरकार ने भी दिव्यांगों को सरकारी सेवा में अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व प्रदान कराया है तथा दिव्यांग पेंशन में भी बढ़ोत्तरी की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा भविष्य में भी दिव्यांग पेंशन में बढ़ोत्तरी की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम खराब होने के कारण मा0 गृहमंत्री भारत सरकार अमित शाह जी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाये हैं किन्तु उन्होंने अपनी ओर से शुभकामनाएं देने के लिए कहा है इसलिए मैं गृहमंत्री जी की तरफ से भी आपको शुभकामनाएं देता हूॅं। उन्होंने कहा कि स्वामी जी राम जन्मभूमि के फैसले के संबंध में बार-बार पूछते थे। तभी मैंने कहा था कि पूज्य संतों की साधना व्यर्थ नहीं जाती है। संतो की पांच सौ वर्ष की साधना के बाद राम जन्मभूमि का फैसला आया है और अब अयोध्या में शीघ्र ही भव्य राम मंदिर बनेगा। मुख्यमंत्री ने जगद्गुरू रामभद्राचार्य जी को उत्तर प्रदेश हिन्दी सेवा संस्थान के 43 वें स्थापना दिवस पर हिन्दी ‘‘साहित्य भूषण‘‘ पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने ताम्रपत्र,अंगवस्त्र व दो लाख रूपये की धनराशि प्रदान की। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी कामना है कि स्वामी रामभद्राचार्य जी का हिन्दी साहित्य को अनन्तकाल तक योगदान प्राप्त होता रहे। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय निरन्तर आगे बढ़ता रहे और देश व दुनिया में अपना नाम रोशन करे।कुलाधिपति जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय रामभद्राचार्य ने कहा कि मा0 गृहमंत्री अमित शाह जी ने हमें यह अस्वासन दिया है कि अगले वर्ष तक यह विश्वविद्यालय केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनेगा। उन्होंने कहा कि हम अगले वर्ष इस विश्वविद्यालय में पांच वर्षिय एल.एल.बी.पाठ्यक्रम प्रारम्भ करेंगे तथा इस विश्वविद्यालय में दिव्यांगों की लिए मेडिकल कालेज भी स्थापित किया जायेगा। रामभद्राचार्य जी ने कहा कि मैंने रामकथा के प्रवचन से प्राप्त पांच सौ करोड़ रूपये विश्वविद्यालय को प्रदान किये हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के जिन छात्र-छात्राओं को उपाधि प्राप्त हुई है वे समाज और राष्ट्र की सेवा के लिए कार्य करें। रामभद्राचार्य ने कहा कि मैं देश के 12 करोड़ दिव्यांगों को रोजगार दिलाने के लिए आगे भी कार्य करता रहूॅंगा। कुलपति जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय प्रो0योगेश चन्द्र दुबे ने कुलाधिपति से स्वीकृत प्राप्त कर वर्ष 2017-18 तथा 2018-19 में सफल 923 छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान कीं। उन्होंने सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को कुलाधिपति पदक प्रदान करने की स्वीकृति दी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में सात संकाय तथा 16 विभाग कार्यरत् हैं तथा विश्वविद्यालय में शध व सेवायोजन की व्यवस्था है। प्रोफेसर योगेश चन्द्र दुबे ने कहा कि भविष्य में विश्वविद्यालय में विवस्तरीय शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करायी जायेगी। दीक्षान्त समारोह में विश्वविद्यालय द्वारा कनुभाई टेलर को डी.लिट्. तथा प्रख्यात हृदय रोग वि0 डा0 शिवकुमार चौधरी को डी.एस.सी. की मानद उपाधि मा0 मुख्यमंत्री जी ने प्रदान की ।इस अवसर पर महामण्डेलवर गुरू उदासीन गुरूरणानन्द महाराज ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को मानसिक रूप से सबल बना दिया जाय तो शरीरिक विकलांगता महत्व नहीं रखती है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य,पशु,पक्षी तथा वनस्पति में अपनी योग्यता होती है, केवल उसे निखारने की आवस्यकता है। गुरूरणानन्द जी ने कहा कि व्यक्ति सर्वत्र विजय की आशा करता है किन्तु शिष्यऔर संतान से नहीं । हम आशा करते हैं कि रामभद्राचार्य जी के शिष्य व उत्तराधिकारी रामचन्द्र दास इस विश्वविद्यालय को और आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे। आचार्य रामचन्द्र दास ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में मा0 मुख्यमंत्री जी तथा अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आप लोगों के सहयोग से यह विश्वविद्यालय न केवल भारत अपितु विश्व में अपना नाम रोशन कर सकेगा।

*रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट