उत्तर प्रदेश ( राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि)जौनपुर
अभिषेक शुक्ला
जौनपुर (बक्सा)उत्तर प्रदेश में फर्जी शिक्षक भर्ती मामला भ्रष्टाचार के खुले खेल को न केवल उजागर करता है, बल्कि जीरो टॉलरेंस के सरकारी दावे की भी पोल खोल रहा है जौनपुर जिले के बक्सा विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय औका में फर्जी तरीके से मृतक आश्रित अध्यापक के रूप में मनोज यादव तैनात है।
सूत्रों के मिली जानकारी के अनुसार मनोज यादव के माता-पिता दोनों सरकारी नौकरी कर रहे थे माता श्यामरथी यादव प्राथमिक विद्यालय सराय हरखू में सहायक अध्यापिका के रूप में तैनात थी असमय मृत्यु होने के बाद इन्हीं के स्थान पर बेटे को अधिकारियों के सहयोग से फर्जी तरीके से नियुक्ति कर दी गई थी। उस समय पिता सरकारी नौकरी में तैनात थे।
जानकारी के अनुसार माता-पिता दोनों के सरकारी नौकरी होने पर मां की मृत्यु हो जाती है तो उसके पुत्र को मृतक आश्रित कोटे से नियुक्ति नहीं मिलेगी ऐसा ही मामले को हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण टंडन व सुनीता अग्रवाल सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया कहा कि पिता के सरकारी नौकरी में रहते हुए बेटे को मृतक आश्रित नहीं माना जाता है प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित स्कूलों में फर्जी और कूट रचित अभिलेखों व मृतक आश्रित जरिए शिक्षक नियुक्ति होने का सिलसिला थम नहीं रहा है वही उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार व भ्रष्ट अधिकारियों के रोक लगाने की बात कर रहे हैं लेकिन उसका कोई प्रभाव देखने को नहीं मिल रहा है। जांच कर फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे हैं शिक्षकों को निलंबित कर आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए।
बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ गोरखनाथ पटेल से इस मामले पर पूछे जाने उन्होंने कहा कि यदि माता-पिता सरकारी नौकरी में है तो माता की मृत्यु के बाद यदि पिता नौकरी में तैनात है तो पुत्र को मृतक आश्रित नौकरी नहीं दी जाएगी यदि ऐसा मामला मेरे संज्ञान में आता है तो टीम गठित कर जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
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