उत्तर प्रदेश (राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि)जौनपुर
जौनपुर।आचार्य सिद्धार्थ शुक्ला ने कर्मकांड संपन्न कराने वाले आचार्य व यजमान को सचेत करते हुए कहा कि श्रावण माह के परम पवित्र अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक करने वाले सनातन धर्मी ,भक्त तथा वैदिक विधि से कर्मकांड संपन्न कराने वाले आचार्य बंधुओं सभी से आग्रह है कि पार्थिव शिवलिंग का निर्माण शास्त्र विधि से ही करें ।आकर्षक शिवलिंग बनाकर यजमान को प्रभावित करने के लिए शिवलिंग के मूल स्वरूप को विखंडित ना करें ।इससे आचार्य और यजमान दोनों को दोष लगता है ।शिवलिंग को शिवलिंग ही रहने दें ।शिवलिंग में दाढ़ी मूछ ,नाक ,कान आदि बनाने की आवश्यकता नहीं है। यह सब शास्त्रोक्त नहीं है कई लोग शिवलिंग को ड्राइंग पेंट से चित्रकारी कर देते हैं जो कि आध्यात्मिक तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हानिकारक ही है ।नि संदेह सनातन धर्म की सभी पूजा पद्धति विज्ञान पर आधारित होती है उसका प्रभाव हमारे जीवन पर देखने को मिलता है शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ पंचामृत प्रसाद ग्रहण किया जाता है ।इस तरह से केमिकल युक्त पेंट आदि से प्रसाद दुषित हो जाता है शास्त्र में वर्णित विधि से ही शिवलिंग का निर्माण करें और भस्म,चंदन, रोली, पुष्प विल्व पत्र आदि से भगवान शिव का पूजन व दिब्य श्रृंगार करें। पंडित यजमान को खुश करने के लिए और यजमान गण रिश्तेदारों को फोटो भेजने के लिए शिवलिंग की विकृति ना करें भगवान शिव को प्रसन्न कीजिए जिससे समाज , यजमान व ब्राह्मण सबका कल्याण हो।