गोधन की घातक संक्रमित बीमारी लम्पी से बचाव के तरीके बता रहे दीनदयाल शोध संस्थान के वैज्ञानिक

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट: देश का अधिकांश गोधन विषाणु जनित लम्पी नामक त्वचा रोग की चपेट में आ गया है या फिर आने वाला है और इस घातक बीमारी ने गोवंश को व्यापक क्षति पहुॅचायी है। राजस्थान, गुजरात जैसे गोधन सम्पन्न राज्य सर्बाधिक प्रभावित हैं। यद्यपि इस रोग की प्रभावी एवं स्वदेशी वैक्सीन खोज ली गयी है, किन्तु अपने गोवंश तक लगने में अभी समय लगने वाला है। इस लिए अपने गोवंश को इस घातक बीमारी से बचाने के प्रयास करना आवश्यक भी है और आसान भी।

इस बीमारी के लक्षणों से तो हम सभी अवगत ही हैं कि बीमारी से प्रभावित पशु को बुखार आना, भूख न लगना, पूरे शरीर में फोडेध्गाॅठ जैसी बन जाना सामान्य समस्या है और शरीर में विकसति इन असंख्य गांठांे से तरल पदार्थ बहने लगता है जिससे अन्य बीमारियों के जीवाणु भी प्रवेश करने लगते हैं किन्तु इस बीमारी का सर्बाधिक संक्रमण परजीवियों से फैलता है अतः परजीवी नियंत्रण कर बीमारी के संक्रमण पर नियंत्रण किया जाना सर्बसुलभ है।

दीनदयाल शोध संस्थान के वैज्ञानिक डा. राम प्रकाश शर्मा पशुपालकों को परजीवी नियंत्रण करने के उपायों का तकनीकी प्रदर्शन करते हुए अवगत करा रहे है कि आधुनिक युग में पशुधन को परजीवियों से मुक्त रखना बहुत ही आसान हो गया है और इसके लिये नाश, पोरोन, व्यूटौक्स, टिकआउट जैसै परजीवी नाशकों का उपयोग किया जा सकता है। परजीवी नियंत्रण से पशुधन का स्वास्थ्य सुधरेगा, उत्पादकता भी बढेगी तथा लम्पी जैसी विषाणु जनित रोगों के संक्रमण पर निष्प्रभावी बनाया जा सकेगा।

 

 

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

*जनपद* चित्रकूट