*डेंगू मे होम्योपैथीक इलाज भी है असरदार*

*डेंगू मे होम्योपैथीक इलाज भी है असरदार*

राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि अंबेडकर नगर

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डेंगू बुखार एक वायरस से होने वाला संक्रमण है ।यह संक्रमण एडीज एजीप्टी मच्छर द्वारा फैलाया जाता है डेगू बुखार को हड्डीतोड बुखार के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस बीमारी में रोगी की जोडो एंव मांसपेशियों आत्यधिक दर्द महसूस किया जाता है। आपको बता दें कि होम्योपैथीक चिकित्सा अधिकारी डॉ0अविनाश राय ने बताया कि
लक्षण -डेंगू वायरस से संक्रमित होने के उपरांत 3 से 14 दिनों के बाद किसी व्यक्ति में लक्षण दिखाई पड़ते हैं इसके लक्षणों में प्राय तेज बुखार, ठंड लगना, सिर दर्द (आंखों के पीछे ) त्वचा पर चेचक जैसे लाल चकत्ते दाग( जोकि त्वचा को दबाने पर खत्म नहीं होते हैं), मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द शामिल है इसकी जटिलताओं में डेंगू हेमोरेजिक बुखार(डीएचएफ) एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम(डीएचएस) पाए जाते हैं जिसमें क्रमश: रक्तस्राव व प्लेटलेट्स तेजी से घटने लगती हैं। होम्योपैथीक चिकित्सा अधिकारी डॉ0अविनाश राय ने कहा कि
जिसे हम थ्राम्बोसाइटोपेनिया कहते हैं डीएचएस मे रक्त चाप एंव हर्ट रेट काफी कम हो जाने की स्थिति मे रोगी मे बेहोशी भी देखने को मिलती है जोकि काफी घातक है।
बचाओ एवं रोकथाम,- जैसा कि हम जानते हैं। कि डेंगू बुखार एडीज एजीप्टी मच्छर के द्वारा फैलाया जाता है, रुका हुआ साफ पानी इन मच्छरों के लार्वा का सबसे बड़ा स्रोत है। अतः अपने आस-पास नालियों, गमलों, गुलदस्तो, कूलर ,टायर, एसी से एकत्र होने वाले पानी के स्रोतों को साफ कर समय-समय पर कीटनाशक छिडकाव एंव जैविक नियंत्रण (गम्बूसिया मछली) कर मच्छरो पर नियंत्रण करना चाहिए,इसके अलावा सोने के लिए मछरदानी का प्रयोग तथा शरीर को पूरी ढकने वाले कपड़ों को प्रयोग में लाना चाहिए , जिससे हम मच्छरों के काटने से अपने आप को बचा सके
होम्योपैथिक उपचार- जैसा कि विदित है कि होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति रोग का नहीं रोगी की शरीर की रोग प्रतिरोधक छमता बढाकर रोग से शरीर की रक्षा करती हैं ।इसके पूर्व भी होम्योपैथिक दवायें अन्य बीमारियो के अलावा विषाणु जनित रोगों जैसे कोरोना, चेचक इत्यादि पर अच्छी असर दायक व प्रमाणिक सिद्ध पाई गई हैं | डेंगू बुखार के लक्षण के आधार पर प्राय: यूपीटोरियम पर्फोरेटम, रस टॉक्सीडेनड्रान, आर्सेनिक एल्बम,सिनकोना,जेल्सीमियम,चिनिमम आर्सेनिकम टीनोस्पोरा,ओसिमम कैन,लैकेसिस म्यूटा इत्यादि दवायें बेहद ही उपयोगी पायी गयी हैं। संक्रमण के उपरांत शुरुआत में ही लक्षण महसूस होने पर यदि हम अपने होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह एवं परामर्श कर इन दवाओं का लक्षणों के आधार पर उपयोग में लायें तो निश्चय ही आप समय से पहले बीमारी से पूरी तरह से स्वस्थ लाभ प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन और परिवार की रक्षा कर सकते हैं।

रिपोर्ट विमलेश विश्वकर्मा ब्यूरो चीफ अंबेडकरनगर