उत्तर प्रदेश ( दैनिक कर्मभूमि) जौनपुर
जौनपुर।अनामिका शुक्ला प्रकरण के बाद से प्रतिदिन हजारों फर्जी शिक्षकों का जखीरा मिल रहा जो, नियोक्ता और अधिकारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा । जब इन फर्जी शिक्षकों पर कार्यवाही हो रही तो इन्हे नियुक्ति और प्रमाणित करने वाले अधिकारी क्यों बचे हुए है ? ये माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश जी को संज्ञान में लेना चाहिए और अधिकारियों की भी धर पकड़ होनी चाहिए जिनके वजह से लाखों योग्य और पढ़े लिखे शिक्षक आज बेरोजगार होकर बद्तर हालात का सामना कर रहे । जिस प्रकार राजनेता अपनी पूरी शक्ति लगाकर देश का फटाफट विकास कर रहे हैं, न्यायपालिका दनादन न्याय कर रही है, अफसर सटासट जनता की सेवा कर रहे हैं, उसी प्रकार देश के फर्जी शिक्षक ,संपूर्णानंद विश्वविद्यालय ,आगरा युनिवर्सटी इत्यादि की फर्जी डिग्रिया लगाकर धड़ल्ले से नौकरी कर रहे । जांच होने पर सत्यापन अधिकारी को मोटा माल पकड़ा कर फाईल या तो क्लियर करा दे रहे या गायब करा दिए है । जबकि योगी जी की धांय धांय सरकार थोड़ी देर में जागी और अब सच को सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
अभी कल की ही बात है, मेरे एक शिक्षक मित्र ने कहां की कुछ भी ही जाए शिक्षा माफिया नहीं सुधरने वाले ,मतलब खुली चुनौती । अब लोग सरकारी वेकेंसियों का कॉलर पकड़ कर घसीट रहे है । सत्य गिड़गिड़ा रहा है कि मालिक हमे रोजगार दो, हम पढ़े लिखे बेरोजगार है हमारा कसूर बस इतना है कि हमारी मेरिट संपूर्णानंद वालो से कम है ,हमने किसी को घूस नहीं दिया , कहीं घपलेबाजी नहीं की , माफ कर दो ! फर्जी शिक्षामित्र और कस्तूरबा बालिका विद्यालय वाले गरज रहे कि छोड़ कैसे दें बे? तुमको बेरोजगार रखना लाना हमारा धर्म है, हम दुनिया को फर्जी गिरी दिखा कर मानेंगे। देश के लोकतंत्र में फर्जीपन और घूसखोरी सत्य से ऊपर है ,और सत्य पर हजार खतरे है ।
कभी कभी जब मुझसे कोई भूल हो जाती है तो मैं प्रायश्चित के लिए किसी समाचार चैनल पर चलने वाला डिबेट सुनने लगता हूँ। महान संत पॉल दिनाकरन ने कहा है डिबेट वही सुनो जिसकी एंकरिंग कोई बेबाक पत्रकार कर रहा हो ना कि रवीश कुमार जैसे कहानीकार । मैं वही करता हूँ। सच मानिए, मुझे तब ख़बरों से चिढ़ हो जाती है जब आधे किलो के मुँह में डेढ़ किलो क्रीम पोत कर आई सुन्दर एंकर मुस्कुरा कर कहती है कि “बने रहिये हमारे साथ! सबसे पहले हम आपको बताएंगे कि चीन के साथ विश्वयुद्ध कब होगा ” तो भरोसा हो जाता है कि सौंदर्य में सचमुच बहुत शक्ति होती है। वह जब चाहे विश्वयुद्ध करा सकता है। मैं खूब डिबेट सुनता हूँ। विश्वास कीजिये, मेरे सारे पाप वैसे ही धूल जाते हैं जैसे सपा, बसपा के आते ही फर्जी शिक्षकों की फर्जी डिग्रिया धुल कर वास्तविक हो जाती है , खैर छोड़िये! आजकल पत्रकारिता में भी बड़ा विभाजन हो गया है। राष्ट्रवादी पत्रकारिता, जनवादी पत्रकारिता, आबादीवादी पत्रकारिता, थप्पड़वादी पत्रकारिता, विवादी पत्रकारिता ,जो कि एक आम दर्शक और पाठक समझ नहीं पाता कि वह सुधीर चौधरी की राष्ट्रवादी खबरें सुने , बरखा दत्त वाली थप्पड़वादी पत्रकारिता को सुने या पंकज कुमार मिश्रा की जनवादी लेख को गुने ।
कुछ लोगों को लगता है कि फर्जी गिरी आसान काम है। बस फर्जी डिग्री लो , लाखो रुपए के बंडल को बैग में डालो और किसी के मुँह में ठूस कर पूछने लगो कि बताओ सेटिंग कैसे होगी ? नोट पाकर सामने वाले का रोम रोम मुस्कुरा कर उत्तर देने लगा कि फर्जी भी सही है ,आकर घुस जाओ सिस्टम में ।
आजकल ऐसा है नहीं ,बड़े खतरे हैं इस फर्जीवाड़े के राह में ,अभी कल की ही बात है, एक मित्र जो कि एल टी परीक्षा (केंद्रीय) में सलेक्ट हुआ है , मुंबई से आ गया गांव मैंने पूछा, “आप सोलह सौ किलोमीटर से आ रहे हैं, आपने वहा से बिना सिलेबस और तैयारी के ( महोदय जमीन डीलर है ) एल टी की परीक्षा उत्तीर्ण कर लिए ,कैसे हुआ ये चमत्कार ? आपको कैसा लग रहा है?” युवक मुस्कुरा कर बोला, “अब तो बहुत बुरा लग रहा है क्योंकि डिग्रियों की जांच हो रही मैंने दूरस्थ कोर्स किया हुआ है इसपर उसको देखते ही सारे दुख दूर हो गए। कसम शिवपाल यादव की ,मेरा भी मन किया कि पत्रकारिता छोड़ सपाई या बसपाई हो जाऊं, कोई आरक्षण या फर्जी सर्टिफिेट्स लगाकर नौकरी तो मिल जाए पर मेरे अंदर का ईमानदार आदमी मरता ही नहीं ।वैसे सच पूछिए तो भारत का हर महकमा अपनी पूरी शक्ति के साथ अपने कर्तव्य पथ पर डंटा हुआ है। कोई किसी से कम नहीं। एक उदाहरण देखिये। जिस दिन से लॉक डाउन हुआ उसी समय से अनामिका शुक्ला प्रकरण फैला उसी दिन मेरे जिले के बी एस ए लेखा जो की पेशे से करोड़पति हैं, पत्रकारों को बता रहे थे कि सोसल डिस्टेसिंग का पालन कीजिए और खुद को ईमानदारी के होम में कोरोनटाइन कर लिए। बोले कि हम जनता को करोड़पति बनने को प्रेरित करने के लिए स्वयं ही ईमानदारी के कोरोनटाइन में जा रहे हैं। दो महीने बीत गए, वे अभी तक जनता को प्रेरित कर रहे हैं, विभाग उनसे नियुक्तियों की जानकारी पे जानकारी मांगे जा रहा और महोदय कई शिक्षामित्रों की फाईल दबा कर कोरेंटाइन हुए पड़े है । मेरा जिला अब शिक्षा के फर्जीवाड़े में महान बनने ही वाला है। कोई अपनी दाएं हाथ के अंगूठे को काटकर 80 % का विंकलांग सर्टिफिकेट बनवाकर ,विकलांग कोटे से नौकरी कर रहा तो कई वीर ऐसे भी है जिन्होंने अपने घरों में रहकर ही पूरी शिक्षक की नौकरी कर ली है । सबकी जांच करवाइए माननीय मुख्यमंत्री जी ,पिक्चर अभी बाकी है ।
_____ पंकज कुमार मिश्रा 8808113709
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