उत्तर प्रदेश ( दैनिक कर्मभूमि)जौनपुर
जौनपुर।
अ०भा०वि०प० प्रदेश कार्यकरणी सदस्य जौनपुर (काशी प्रान्त) कौतुक उपाध्याय ने कहा सर्वोच्च संरक्षक विष्णु के आदर्श अवतार श्री राम हमेशा हिंदू देवताओं के बीच लोकप्रिय रहे हैं। राम शिष्टाचार और सदाचार के प्रतीक हैं, जो मूल्यों और नैतिकता के उदाहरण हैं। रामचंद्र मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, जिसका अर्थ है सिद्ध पुरुष।
*राम का चरित्र स्वयं ही काव्य हैं*
राम सिर्फ़ एक शब्द नहीं हैं ये एक भाव हैं जो इतना सघन हैं की सबकुछ को अपने में समाहित कर लेता हैं । राम युग पुरुष हैं हमारी आस्था उनसे जुड़ी हुई हैं । भारत के लिये ये अद्भुत दिन हैं जिसका इन्तज़ार पांच शताब्दियो से था ।रामलला का टेन्ट में रहना हर हिंदू के लिये दुखद था ,किसी भी धर्म के लिये उसके एतिहासिक स्थल अत्यन्त महत्वपूर्ण होते हैं, क्योकी ये स्थल उस धर्म के समुदाय के व्यक्तियो के आस्था के प्रतीक होते हैं ऐसे मे अयोध्या में श्री राम के मंदिर का निर्माण हमारे आस्था को पुनर्जीवन प्रदान करने वाला हैं । यह समय हमारे आनंद का हैं,न जाने कितनो का वरदान आज फ़लीभुत हुआ ,हमारे पुरखो का तप व्यर्थ नहीं गया ।
श्री राम जन्मभुमी पर मंदिर का निर्माण सिर्फ़ मन्दिर का निर्माण नही है बल्कि यह भारत का भी निर्माण है, मंदिर के निर्माण के साथ ही लोक चेतना व लोग जीवन मे भी राम स्थापित हो हमारी यही कामना हैं ।
दशरथ पुत्र भगवान श्री राम का नाम कौन नही जानता होगा। हममें से कितने ही लोग नित्य भगवान राम की पूजा तो करते होंगे पर हम कभी भी उनके चरित्र की अच्छी बातों को ग्रहण करने की कोशिश नहीं करते है। यदि हम सभी इन बातों पर अमल कर लेते हैं तो हमारा जीवन भी खुशियों से भर जाएगा।
भगवान राम, स्वामी विवेकानंद के शब्दों में, “सत्य का अवतार, नैतिकता का आदर्श पुत्र, आदर्श पति, और सबसे बढ़कर, आदर्श राजा” है। जिनके कर्म उन्हें ईश्वर की श्रेणी में खड़ा करते है।
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