सरकार की मंशा पर पानी फेरने में लगा खंड विकास कर्वी खुलेआम स्वच्छता मिशन की उड़ी ग्राम पंचायतों में धज्जियां

उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट में नमूना बन कर रह गए करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद स्वच्छ शौचालय साहेब भले ही ग्रामपंचायत में विकास के नाम पर बड़े बड़े दावे किये जा रहे हो मगर यहां की हकीकत ग्राम पंचायतों में जाने के बाद ही पता चलती है। हर गली-मोहल्ले में पड़े गंदगी के ढेर व बंद पड़ी गंदे पानी की निकासी ग्रामपंचायत में विकास व सफाई व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर रहे है। आलम यह है कि मुख्य सड़क के बीचों-बीच बहता गंदा पानी व पंचायत में जगह-जगह पड़े कूड़े के ढेर पंचायत की साफ-सफाई को लेकर प्रशासनिक व राजनेतिक तोर पर बरती जा रही लापरवाही को साफ बयां कर रहा है।

देश की राजधानी से लेकर गांव की गलियों तक स्वच्छता अभियान चल रहा है। प्रधानमंत्री से लेकर आम नागरिक सफाई करने में जुटे हुए हैं, लेकिन निर्मल ग्राम पंचायत में जगह-जगह गंदगी फैली हुई है। गांव के पहुंचमार्ग पर कचरों का ढेर लगा हुआ है। वर्तमान में इस गांव में जगह-जगह गंदगी का आलम है। गांव पहुंचमार्ग पर ही कचरों का ढेर है, जहां से लोगों का दिनभर आना-जाना रहता है। कुछ सार्वजनिक स्थलों पर भी गंदगी का आलम है।
गांव की गलियों में निर्मित निकासी नालियां गंदगी से अटी पड़ी हैं। महीनों से जाम गंदे पानी से बदबू उठ रही है, जो ग्रामीणों के लिए मुसीबत बनी हुई है। कुछ घरों के पास भी गंदे पानी का जमावड़ा है। रात में गंदगी में मच्छर पनप रहे हैं। अधिक मच्छर काटने से ग्रामीणों को डेंगू बीमारी की आशंका सता रही है। सरकार द्वारा देश को स्वच्छ बनाने के लिए हर वर्ष अरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन वास्तविकता इसके विपरित ही है। जिस कारण एक झटके में ही सरकार का यह सपना चकनाचुर हो सकता है। सरकार द्वारा शुरू की गई योजना केवल कागजों में ही दौड़ रही है। इस योजना ने आज तक धरातल पर कोई खास प्रगति नहीं की है। प्रशासनिक अधिकारी अपनी खाल बचाने के चक्कर में कागजों में ही इस योजना को शिखर में पहुंचा देते हैं

करोड़ो खर्च के बाद भी ग्रामीण खेतो में शौच के लिए हो रहे मजबूर
यदि हम बात करें ग्रामपंचायत बंदरी, घुरेटनपुर , हरिहरपुर , खम्हरिया,तराव , व अन्य कई ग्राम पंचायत के गांव की तो यहां शौचालय के नाम पर जहा एक ही परिवार के कई सदस्यों को योजनाओं का लाभ देकर सरकार के लाखों रुपए के राजस्व को चूना लगाया गया है। वही बने शौचालय आज भी अपनी देखरेख की एवं बदहाली की दुहाई लगाते देखे जा सकते हैं। जिसमें शौचालय बने हैं परंतु ना तो शौचालय में छत है ना ही शौचालय में गड्ढे शौचालय के अंदर भूसा एवं गोबर के कंडे भरे पड़े हैं । इससे स्पष्ट जाहिर होता है कि सरकार के करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी ग्रामवासी शौचालयों का उपयोग ना करके खुले खेतों में शौच के लिए जाने को विवश हो रहे हैं। वही ग्रामीणों की मानें तो संबंधित शौचालय के धन दुरुपयोग की जानकारी ग्राम पंचायत के निवासियों द्वारा कई बार जिम्मेदार जिले के उच्च अधिकारियों एवम खंड विकास अधिकारी से की जा चुकी है । परंतु अधिकारियों ने कार्यवाही ना करके जनसुनवाई पोर्टल में दर्ज शिकायतों का निस्तारण करते हुए शिकायत प्रणाली को मजाक बनाकर रख दिए जिसकी वजह से भ्रष्टाचारियों को तो शिकायत नाम से डर तो खत्म ही हो गया परंतु आम जनता का भी विश्वास जनसुनवाई पोर्टल से उठ गया है और इसी वजह से ग्राम पंचायत के विकास लगातार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते जा रहा है ।
अब देखना यह है कि स्वच्छ छवि वाले चित्रकूट के जिलाधिकारी द्वारा इन ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों पर कब ध्यान दिया जाएगा या फिर ग्रामीण इसी तरह खुलेआम खेतों में शौच करने के लिए मजबूर होते रहेंगे और स्वच्छ भारत की इसी तरह धज्जियां उड़ती रहेंगे।

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट