उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) लखनऊ,01 मार्च 2021 एक साल और ग्यारह दिनों के बाद प्रायमरी कक्षाओं के लिये खुले स्कूलों के बच्चों का जहां निजी स्कूलों ने दिल खोलकर स्वागत किया तो वही परिषदीय विद्यालय पूरी तरह से उदासीन बने रहे। उ0प्र0 सरकार के मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी परिषदीय विद्यालयों में सजावट तो दूर साफ-सफाई भी नहीं दिखायी दी। जहां मुख्यमंत्री ने सौ दिनों तक चलने वाली ज्ञानोदय योजना के अर्न्तगत परिषदीय विद्यालयों को पहले दिन गुब्बारों व झालरों से सजाने की बात कही थी वही ठीक उसके उलट विद्यालयों में सफाई तक नहीं की गयी थी। वही शहर के तमाम निजी विद्यालयों ने अपने बच्चों का स्वागत फूल देकर, उनके स्माइली लगा कर, उन पर पुष्पवर्षा करके तथा मुंह मीठा कराकर उनको चाकलेट आदि देकर किया। प्राथमिक विद्यालय फतेहगंज में जो कि गाय भैसों के तबेले के नाम से जाना जाता है। वहा केवल चार बच्चें उपस्थित थे। प्रधानाचार्या के अभाव में इंचार्ज कंचन मिश्रा के साथ दो महिला ट्रेनी व दो पुरूष ट्रेनी उपस्थित थे। सजावट तो दूर सफाई भी नहीं थी। अमीनाबाद कूड़ेघर के सामने स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में सजावट तो दूर चारो तरफ गंदगी के ढेर लगे दिखायी दिये। यहां प्रधानाचार्या रतन श्रीवास्तव सहित आठ ट्रेनी व दो शिक्षामित्र उपस्थित थे। कुल पैसठ बच्चों में केवल तीस बच्चे उपस्थित थे। सबसे बुरी दशा रानीगंज स्थित प्राथमिक विद्यालय की थी। जहां दस बजे तक बच्चों की संख्या शून्य थी। केवल एक महिला अध्यापिका उपस्थित थी जो कि किसी दूसरे विद्यालय से यहां भेजी गयी थी। चारों तरफ गंदगी थी। वास्तव में ये परिषदीय विद्यालयों की जमीनी हकीकत है। इसी तरह के हाल प्राथमिक विद्यालय हैदरगंज, मालवीय नगर, सोशल सर्विस स्कूल दुगांवा आदि के है। प्रधानाचार्यों व शिक्षकों के अनुसार स्कूल में न तो चपरासी है और न ही कोई सफाईकर्मी है तो कैसे साफ-सफाई हो। मुख्यमंत्री के सजावट करने के आदेश का पालन कैसे हो जब कि विभाग से कोई फण्ड ही जारी नहीं किया गया है। स्कूल की छोटी-छोटी आवश्यकताओं वे अपने निजी फण्ड से पूरा करते है। इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी से बात करने पर उनका फोन उठता ही नहीं है। वही तमाम निजी विद्यालयों ने अपने बच्चों के स्वागत में पहले दिन पलक पांवड़े बिछा दिये। कही पुष्पवर्षा तो कही चाकलेट देकर बच्चों का स्वागत किया गया।
रिपोर्टर सिद्धार्थ त्रिवेदी रायबरेली
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