उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) लखनऊ,22 मार्च 2021 उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के एक संगठन ने पश्चिम बंगाल में सरकार बनने पर घरेलू उपभोक्ताओं को 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने के भाजपा के चुनावी वादे को आधार बनाते हुए राज्य में इस पार्टी की सरकार से ऐसी ही राहत की मांग की है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने सोमवार को यहां एक बयान में बताया कि भाजपा ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को जारी अपने घोषणापत्र में सरकार बनने पर घरेलू उपभोक्ताओं को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया है। अगर भाजपा पश्चिम बंगाल में ऐसा कर सकती है तो उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं खासकर तब जब इस राज्य के बिजली उपभोक्ताओं का हजारों करोड़ों रुपया विद्युत कंपनियों पर बकाया है। वर्मा ने बताया कि उन्होंने इस मसले पर प्रदेश के ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा से सचिवालय में मुलाकात कर एक प्रस्ताव सौंपा। इसमें यह मांग की गई कि उत्तर प्रदेश में भी घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाए। अगर भाजपा पश्चिम बंगाल में ऐसा कर सकती है तो उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं? उन्होंने बताया कि ऊर्जा मंत्री ने उपभोक्ता परिषद को आश्वासन दिया है कि सरकार सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के विकल्प पर विचार कर रही है और परिषद के प्रस्ताव पर भी गंभीरता से विचार किया जाएगा। वर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश भारत का ऐसा पहला राज्य है जहां विद्युत उपभोक्ताओं का प्रदेश की बिजली कम्पनियो पर श्उदयश्, श्ट्रूअपश् योजनाओं के लगभग 19,535 करोड़ रुपए बकाया है। इसे लेकर उपभोक्ता परिषद बिजली दरों में तीन वर्षों तक लगातार आठ प्रतिशत अथवा 25 प्रतिशत एक साथ कमी की मांग कर रही है लेकिन उपभोक्ताओं को अभी तक राहत नहीं दी गयी है। उन्होंने बताया कि उदय योजना के तहत केंद्र सरकार ने बिजली कंपनियों द्वारा लिए गए कर्ज की ब्याज की धनराशि इस शर्त पर खुद चुकाई थी कि बिजली कंपनियां इसका लाभ उपभोक्ताओं को देंगी और इस ब्याज की धनराशि की वसूली उपभोक्ताओं से नहीं की जाएगी। मगर कंपनियों ने ब्याज की रकम भी बिजली की दरों में शामिल करके वसूली कर ली है। वर्मा ने बताया कि इसी तरह ‘ट्रू अप’ योजना में बिना अंकेक्षण के बिजली दरों में बढ़ोत्तरी कर ली जाती है। ऑडिट करने के बाद मिलान करके यह पता लगाया जाता है कि उपभोक्ताओं से कितनी ज्यादा रकम अतिरिक्त वसूली गई है। बिजली कंपनियों को यह रकम बिजली दरों में कमी करके चुकानी होती है।
रिपोर्टर सिद्धार्थ त्रिवेदी रायबरेली
You must be logged in to post a comment.