राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट।गुंजन मिश्रा पर्यावरणविद के अनुसार चित्रकूट की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए चित्रकूट को आध्यात्मिक जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में घोषित करने के प्रयास किये जाने चाहिए ताकि चित्रकूट भगवान् राम की वनवासी स्थली के रूप में अपनी पहचान हमेशा के लिए बनाये रखे। इसके अलावा चित्रकूट में अब रानीपुर टाइगर पार्क घोषित हो चुका है एवं आध्यात्मिक स्थली के रूप में चित्रकूट युगो से ऋषियों, मुनियो की तपोस्थली रही है। गुंजन मिश्रा ने बताया की हालाँकि देश में इस तरह का यह पहला स्थल होगा जिसको आध्यात्मिक जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में घोषित किया जाएगा। इसके लिए भारत सरकार को थोड़ा प्रयास करके नए मापदंड बनाने होंगे क्योंकि 2022 तक, भारत में 40 विश्व धरोहर स्थल स्थित हैं। इनमें से 32 सांस्कृतिक हैं, 7 प्राकृतिक हैं और एक कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान, मिश्रित प्रकार का है। जैव विविधता विरासत स्थल के लिए पहले से ही पर्यावरण मंत्रालय 19 स्थलों को देश में चिन्हित कर चुका है। इसके लिए सबसे पहला काम चित्रकूट के जैव विविधता और आध्यात्मिक क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए चित्रकूट को चित्रकूट इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत लाना होगा। इसका फायदा न सिर्फ चित्रकूट की जैव विवधता, यानी विलुप्त हो रहे पशु, पक्षी वं वनस्पतियो और नदियों, पहाड़ो को संरक्षित करने में मिलेगा एवं बुंदेलखंड जो जलवायु परिवर्तन की जीती जागती मिसाल बनकर लोगों द्वारा अब यह कहा जाने लगा है कि सिर्फ भगवान ही लोगों को कुदरत के कहर से बचा सकते हैं, इससे भी बचाव हो सकेगा। इससे चित्रकूट एक बेहतर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होकर देश विदेश के पर्यटकों को भी अपनी और आकर्षित करके स्थानीय लोगो को रोजगार देकर यहाँ की आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय की समस्या भी हल कर सकेगा। क्योंकि जंगल सफारी, कृषि पर्यटन, फॅमिली फार्मर आदि को भी इस कार्य से बढ़ावा मिलेगा। जिससे चित्रकूट अपनी प्राकृतिक और आध्यत्मिक सम्पदा का उपयोग क्षेत्र ही नहीं देश के विकास में भी सहयोग कर सकेगा।
*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट
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