होमगार्डों को भूल गई है राज्य सरकार !

उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि)जौनपुर
होमगार्डों को भूल गई है राज्य सरकार !
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आजकल जब समूचा देश आर्थिक संकट से जूझ रहा , पूरे देश में करोना से हाहाकार मचा है और लोग आर्थिक तंगी का हवाला देकर घर में लॉक है । वही नीःस्वार्थ भाव से करोना योद्धा की भूमिका निभा रहे हमारे राज्य के होमगार्डों की सुधि किसी को नहीं । थानों पर चौकीदार के रूप में कार्य करने वाले ये लोग प्रशासन के हाथ की कठपुतली बने हुए है । होमगार्डों को वेतन के नाम पर जो कुछ भी मिलता है या फिर जो भी भुगतान किया जाता रहा है वो इनके जीवनयापन के लिए अपर्याप्त है ,और तो और कुंभ में हाड़ तोड़ डयूटी करने के बाद भी डयूटी चार्ज सरकारों ने डंप करके रखा है । आखिर कब तक ये बेचारे खाकी वर्दी में रहकर बदतर जीवन यापन करने के लिए विवश रहेंगे । राजनीतिक मतभेद शालीनता की सीमा रेखा पार करके चरित्र हत्या तक पहुंचने लगे हैं। लोग पागलों की तरह झूठ फरेब और जालसाजी का सहारा लेकर अपने विरोधियों के खिलाफ नफरत से भरी छिटाकशी पूरी बेशर्मी से परोस रहे हैं , और उन्हें संयमित करने के लिए इन्हीं होमगार्ड्स को आगे कर दिया जाता है ।
आज जब लोग (जिसमें पढ़े-लिखे पुरुष और महिला सभी शामिल है और सभी विचारधाराओं के या यह कहें कि सभी राजनीतिक सोच वाले लोग शामिल है) बिना यह सोचे समझे कि उनकी इस हरकत से देश के लोकतंत्र, समाज की मर्यादा भारत के भाईचारे पर क्या बुरा असर होगा तो दुख और चिंता ज्यादा बढ़ जाती है और तब खाकी की जिम्मेदारियां बढ़ जाती है ,ऐसे में अभी हाल ही मै मैंने उत्तर प्रदेश के केराकत ब्लॉक के एक होमगार्ड चंद्रप्रकाश कसौधन से उनका दर्द जानना चाहा तो पता चला कि इस सभ्य समाज को चलाने की पूरी जिम्मेवारी इन्हीं होमगार्डों के कंधे पर प्रशासन ने सौंप रखी है । यह दुख और चिंता एक पीड़ा का रूप ले लेती है जब देखता हूं कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए और अपने निहित स्वार्थों के लिए कुछ वैतनिक अधिकारी और वर्दीधारी अपना कर्तव्य छोड़कर विभिन्न हुक्मरानों की तरह और वह भी निम्न स्तर के मानसिकता के साथ इन होमगार्ड्स का शोषण करते हैं।यह देख कर दुख व पीड़ा और बढ़ गई है कि जब चरित्र हत्या और झूठ को सच सिद्ध करने के इस पाप में सत्ता पक्ष और विपक्ष सभी शामिल है और सभी के पालतू जानवर सा व्यवहार करते है । क्या बुद्धिजीवी ,रंगकर्मी, प्राध्यापक आदि सभी इस सामाजिक अव्यवस्था में शामिल हो जाते हैं।
ये होमगार्ड्स जब भी सच समझाने की कोशिश करते है , अपनी बात रखते है तो अधिकारी पलट कर तुरंत अपनी गलती ना मानकर सरकार का दोष बताने लगते है, जरा सोचिए इस अंधी गलाकाट प्रतियोगिता का अंत क्या होगा ? क्या यह राष्ट्र या समाज के हित में है ? आज आप किसी का शिकार कर रहे हैं कल आप भी शिकार हो सकते हैं, तब क्या होगा ? आखिर इनकी आजीविका कैसे चलेगी ? सोशल मीडिया की टेक्नोलॉजी ने इस चरित्र हत्या के खेल को और भयानक व्यापकता प्रदान कर दी है और समाज में विश्वसनीयता का गहरा संकट खड़ा होता जा रहा है, परोक्ष रूप से यह हम अपने लिए ही अर्थात सबके लिए ही एक अंधा जंगलराज खड़ा कर रहे हैं। सरकार इन होमगार्ड्स के प्रति गंभीर हो , इनके हितों की रक्षा सुनिश्चित करें साथ ही साथ इन्हे विनियमित करके इनके लिए अच्छे प्रबन्ध करे ताकि ये जनसेवा को पूरी ईमानदारी से निभा सके ।
______ पंकज कुमार मिश्रा 8808113709