उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) अंबेडकरनगर टांडा विकासखंड के फरीदपुर कुतुब गांव का मामला दूसरे गांव के लोगों के जॉब कार्ड पर किया गया लाखों का भुगतान क्षेत्र पंचायत सदस्य भी हैं मनरेगा के मजदूर है ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारियों द्वारा मनरेगा मैं बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।ग्राम प्रधानों द्वारा अपने चहेतों का जॉब कार्ड बनवा कर उसमें कथित मजदूरी की राशि भेजी जाती है और पुनः वापस ले लिया जाता है।विभागीय आदेश है कि मनरेगा कार्यों की वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई जाए लेकिन ग्राम प्रधान उससे परहेज करते हैं।ग्राम प्रधानों द्वारा कच्चे कार्यों को रात के अंधेरे में जेसीबी मशीन लगाकर करवाया जाता है।बाद में दिखाने के लिए उस पर मजदूर लगाकर कोरम पूरा कर दिया जाता है।टांडा विकासखंड के ग्राम फरीदपुर कुतुब की कहानी कुछ ऐसी ही है। यहां के ग्राम पंचायत अधिकारी तथा ग्राम प्रधान ने बगल के गांव खासपुर के 44 लोगों को लगभग ₹400000 चार लाख का भुगतान कर डाला है।इनमें से ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं जो पर्दानशीं है जो घर से कभी भी बाहर नहीं निकलती।इसके अलावा बिल्डिंग के ठेकेदार लकड़ी व्यापारी क्षेत्र पंचायत सदस्य का भी मनरेगा जॉब कार्ड बना है।और बाहर रहने वाला व्यक्ति भी मनरेगा का श्रमिक है।गर्ल्स स्कूल चलाने वाले व्यक्ति के घर के 6 लोग भी मनरेगा के तहत मजदूरी कर डाली।ग्राम पंचायत सदस्य भी मनरेगा के श्रमिक हैं।इन परिस्थितियों से साफ है कि ग्राम प्रधान द्वारा किस तरह से मनमानी बरती गई है।बताया जाता है कि बगल के गांव के जिन लोगों के जॉब कार्ड पर भुगतान किया गया है उसमें बड़ी संख्या में प्रधान के सगे संबंधी हैं।ऐसी स्थिति में यदि ग्राम प्रधान के कारनामों की जांच कराई जाए तो मनरेगा में लूट का बड़ा खुलासा हो सकता है।इस संबंध में ग्राम प्रधान अनीस का कहना है कि लोगों से काम करवाया गया है।इसमें कुछ गलत नहीं है।उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कार्यों की वीडियो रिकॉर्डिंग कराई जानी चाहिए।लेकिन कराया नहीं जाता।
ब्यूरो चीफ पवन कुमार चौरसिया अयोध्या मंडल
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