गरीबों के घावों पर घूसखोरी से चोंट करते ग्राम सचिव

उत्तर प्रदेश(दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट-जनपद चित्रकूट के महज 10 किलोमीटर दूर कर्वी तहसील अंतर्गत पड़री गांव से ग्राम सचिव द्वारा एक गरीब का शोषण करने की घटना सामने आई है।
गरीब मजदूर हीरालाल पुत्र शंभू को परिवार रजिस्टर की नकल की आवश्यकता थी। जिसके लिए सचिव द्वारा पिछले 15 दिनों से भटकाया जा रहा है, और फोन पर घूस की मांग की जा रही है। उपरोक्त शिकायत के बाबत प्रार्थी ने उप जिलाधिकारी कर्वी चित्रकूट को प्रार्थना पत्र के माध्यम से अपना शिकायती पत्र सौंपा है।

पत्र पर प्रार्थी द्वारा लिखित बयान के अनुसार ग्राम सचिव राजेश सिंह पटेल केवल दलालों के माध्यम से ही कामकाज निपटाते हैं। उनसे सीधे मिलने के लिए दलालों के माध्यम से अपॉइंटमेंट दिया जाता है। न सचिव राजेश सिंह पटेल से गांव में मुलाकात की जा सकती है और न ही ब्लॉक में मुलाकात की जा सकती है। मात्र फोन में ही उनसे बात होती है और वह दलालों का नाम और घूस की रकम बता कर फोन काट देते हैं।
यह घटना केवल ग्राम पड़री की ही हालत बयां नहीं करता अपितु पूरे प्रदेश में समस्त ग्राम पंचायत स्तर पर सचिवालय भवन बनाए गए हैं, परंतु वहां या तो प्रधानों का कब्जा है या फिर ताला पड़ा हुआ है। महीनों सचिव गांव में नहीं जाते किसी भी कार्य के लिए खुली बैठकें नहीं की जातीं। छोटे से छोटे कार्य के लिए भी गरीबों को हफ्तों दौडा़या जाता है, आखिर मजबूरी में अनपढ़ और गरीब असहाय व्यक्ति कर्ज लेकर घूस देने के लिए तैयार ही हो जाता है। घूसखोरी और लापरवाही की हद पार कर चुके सरकारी कर्मचारियों में शिकंजा कसने के लिए या तो सरकार तैयार नहीं है या फिर शासन भी पस्त हो चुका है।
आए दिन घूसखोरी की शिकायतें सामने आती है मामले को अधिकारियों द्वारा डांट फटकार लगाकर या फिर स्थानांतरण पत्र जारी कर दबा दिया जाता है।

यह ऊपरी आमदनी का जरिया देश की अर्थव्यवस्था को दीमक की तरह खोखला कर रहा है। गरीब और असहाय जनता पैसे की चमक और अधिकारियों के प्रशासनिक ताकत के आगे हार मान लेती है।
देश के विकास का सर्वे करने वाले एनजीओ और सरकारी संस्थानों के सर्वे के आंकड़े भी घूस की बुनियाद पर खड़े हुए हैं।आज लोकतंत्र घूसतंत्र साबित हो रहा। और विरोध करने वालों को जबरन किसी प्रकरण में फांसकर प्रशासन तंत्र द्वारा हमेशा के लिए उसका मुंह बंद कर दिया जाता है।
आखिर कब आएगा रामराज्य कब होगा जनतंत्र जब गरीबों और असहायों के दुख दर्द को समझा जाएगा? या यूं ही मंदिरों और मस्जिदों के नाम पर जनता को धोखे में रखा जाएगा?

*रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट