उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) लखनऊ,19 फरवरी 2021 अपने आपको पत्रकार बता कर लोगो को डरा धमका कर ब्लैकमेल कर लूट वसूली करने वाले दो फर्जी पत्रकारो को
आज पीजीआई पुलिस ने गिरफ्तार कर प्रतिष्ठित दो न्यूज चौनलो की माईक आईडी ,प्रोफेसर से लूटा गया एटीएम कार्ड ,प्रोफेसर से लूटे गए 11 हजार रूपए मे से 5 हजार रूपए तीन अलग अलग पतो पर बने तीन आधार कार्ड ,मीडिया संस्थान द्वारा जारी एक प्रेस कार्ड एक हान्डा सिटी कार और दो अदद मोबाईल फोन बरामद किए है। पीजीआई पुलिस के द्वारा मुखबिर की सूचना पर चिरैया बाग के पास से हान्डा सिटी कार में घूम रहे खजनी गोरखपुर के रहने वाले सतेन्द्र कुमर शर्मा और बेहता समदा गोसाईगंज अयोध्या के रहने वाले सौरभ सिंह को गिरफ्तार कर जब उनसे पूछताछ शुरू की गई तो पहले तो इन लुटेरे ब्लैकमेलरो ने अपने आपको पत्रकार बता कर पुलिस को अर्दब मे लेने का प्रयास किया लेकिन जब पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ शुरू की तो पत्रकार के भेंष मे छुपे इन अपराधियों ने पुलिस के सामने सच बयान कर दिया। गिरफ्तार किए गए फर्जी पत्रकार अकेले नही है बल्कि इनके साथ एक महिला भी है जिसे अभी गिरफ्तार नही किया जा सका है। पुलिस के अनुसार बीती 15 तारीख को वृन्दावन के रहने वाले डाक्टर आदेश कुमार को इन फर्जी पत्रकारो की महिला मित्र ने बिमारी की बात बता कर इलाज के लिए अपने किराए के मकान मे बुलाया था जहां पहले से सतेन्द्र और सौरभ मौजूद थे। जहां प्रोफेसर डॉक्टर आदेश कुमार के कपड़े उतरवा कर उनका महिला के साथ वीडियो बनाया गया और उनके पास मौजूद 11 हजार रूपए लूट लिए और प्रोफेसर से मारपीट कर वीडियो वायरल करने की धमकी भी दी कर उनसे 11 हजार रूपए भी लूटे। लुटेरो द्वारा प्रोफेसर का एटीएम कार्ड भी छीन लिया गया। प्रोफेसर आदेश कुमार की तहरीर पर पीजीआई थाने मे मुकदमा दर्ज किया गया पुलिस ने महिला के साथ मिल कर लूटपाट ब्लैकमेलिंग करने वालो की तलाश शुरू की तो आज पुलिस को कामयाबी मिल गई और पत्रकारिता को शर्मसार कर मीडिया की आड़ मे अपराध करने वाले दोनो अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया एडीसीपी सै0 कासिम आब्दी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगो का एक संगठित गैंग है जिसमे इनकी महिला मित्र भी है उन्होने बताया कि सौरभ और सतेन्द्र अपने आपको पत्रकार बता कर न्यूज चौनल का माईक आईडी लोगो को दिखा कर उन पर रौब गाडने के लिए इस्तेमाल करते थे। इन्स्पेक्ट पीजीआई आशीश कुमार द्धिवेदी के अनुसार प्रोफेसर से लूटे गए एटीएम कार्ड से और पैसे निकलवाने के लिए ये फर्जी पत्रकार प्रोफेसर को काल कर बुला रहे थे तभी पकड़े गए। हालाकि यहां सवाल ये उठता है कि अगर इन दोनो फर्जी पत्रकारो का पत्रकारिता से कोई सम्बन्ध फिलहाल नही है तो इनको न्यूज चौनल की माईक आईड और परिचय पत्र किसने उपलब्ध कराया कही ऐसा तो नही है कि इन लोगो के द्धारा पत्रकारिता की साख पर बटटा लगाने के लिए माईक पर न्यूज चौनल का लोगो लगी आईडी को भी खुद ही निजी तौर पर बनवाया हो। हालाकि लखनऊ में फर्जी लोगो की गिरफ्तारी का ये पहला मामला नही है इससे पहले भी कृष्णा नगर पुलिस ने गैस एजेन्सी के वेन्डर से लूट करने के दो कथित पत्रकारो को गिरफ्तार किया था यही नही ठाकुरगंज पुलिस द्वारा एक बावर्दी पुलिस इन्स्पेक्टर और बाजार खाला पुलिस द्वारा एक ऐसे बावर्दी दरोगा को गिरफ्तार कर सलाखो के पीछे भेजा था जो चौकी इन्चार्ज को ही अर्दब मे लेकर उनकी मोटर साईकिल हड़पने का प्रयास कर रहा था।
मीडिया को खुद रहना होगा ऐसे लोगो से सचेत जो करते है पत्रकारो को शर्मिन्दा
लखनऊ जैसे महत्वपूर्ण शहर से लगातार हो रही फर्जी लोगो की गिरफ्तारी से हम पत्रकारो को भी सचेत रहने की जरूरत है क्यूकि मौजूदा समय मे देश के कुछ प्रतिष्ठित न्यूज चौनलो और बड़े अखबारो को करोड़ो लोग अब गोदी मीडिया का नाम दे चुके है और गली कूचों में निचले स्तर के तमाम लोग भी पत्रकारिता की साख पर बटटा लगा रहे है। हालाकि ऐसा बिलकुल नही है कि देश मे निष्पक्ष पत्रकारिता करने वाले न्यूज चौनल अखबार और न्यूज पोर्टलो की कमी है बस अगर कही कमी है तो वो ये है कि मीडिया सस्ंथानो से जुडे कुछ लोग अपने निजी लाभ के लिए कुछ ऐसे लोगो को पत्रकार बना रहे है जिनका पत्रकारिता से कोई सरोकार नही है। अपने निजी स्वार्थ की पूर्ती के लिए पत्रकारिता से जुड़ कर पत्रकारिता को शर्मसार करने वाले ऐसे मुठठी भर ही लोग है जिन पर मीडिया संस्थान के जिम्मेदार ही लगाम लगा सकते है। ऐसे मे मीडिया संस्थान से जुड़े जिम्म्ेदारो को चाहिए कि वो बिना आवश्यक्ता और बिना जॉच पड़ताल के अपने सम्मानित संस्थान से किसी नए व्यक्ति को जोड़ कर उसे पत्रकार होने का सर्टिफिकेट न दे क्यूकि जब कोई फर्जी पत्रकार पकड़ा जात है तो सवाल मीडिया की विश्वसनियता पर लगाना शुरू हो जाते है। यहां ये कहना भी पूरी तरह से उचित होगा कि पत्रकारिता का तम्बा लेकर या फिर पुलिस की वर्दी पहन कर अगर कोई अपराधी अपराध करता है तो उसे न तो मीडिया से जोड़ा जाए और न ही पुलिस विभाग से क्यूकि अपराधी सिर्फ अपरधी होता है । तालाब मे अगर कुछ मछलियां गछनी हो जाए तो पूरे तालाब की मछलियो को मारा नही जा सकता है ।
रिपोर्टर सिद्धार्थ त्रिवेदी रायबरेली
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