उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) लखनऊ,24 फरवरी 2021 बुधवार को उत्तर प्रदेश कम्युनिटी हेल्थ वर्कर एसोसिएशन ने प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि उनका चयन 1972 का चयन हुआ और उन्होंने 1977 में स्वास्थ्य जन स्वास्थ्य रक्षक पद पर नियुक्ति हुई। सभी जन स्वास्थ रक्षकों ने 2002 तक नियमित रूप से कार्य किया। 25 साल काम करने के बाद सभी स्वास्थ्य वर्कर्स को सरकार ने फंड देना बंद कर दिया जिससे सभी जन स्वास्थ रक्षक काम करने से वंचित कर दिये गये। यह सभी स्वास्थ्यवर्धक ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए काम करते थे 2002 में कार्यमुक्त होने के बाद में सभी वर्ग रक्षक जो लगभग 90000 हजार हैं पूरे प्रदेश में उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या आ गई सभी ने न्यायालय की शरण लिया। न्यायालय में उन को बहाल करने के लिए आदेश भी दिया किंतु आपसी गुटबाजी और अलग-अलग संगठनों में विभाजित हो जाने के बाद न्यायालय के निर्णय का पालन न करा पाने के कारण आज भी कार्य से वंचित है। इन्हीं बातों को लेकर उन्होंने दोबारा से सरकार और न्यायालय से गुहार लगाते हुए कहा कि उनको अपने पदों पर पुनः स्थापित किया जाए इस संबंध में उन्होंने प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण महानिदेशक निदेशक शिक्षा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को पत्राचार किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब सिंह ने बताया कि उनके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण बीबी, स्वास्थ्य योजनाएं मलेरिया चेचक आदि का दिखा कराया जाता था। महामारी मैं वही लोग आगे रहकर सरकार की योजनाओं को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाते थे उन्होंने फिर से न्यायालय के आदेश को फिर से लागू करते हुए उनकी नौकरी बहाल की जाए या उनका समायोजन किसी अन्य सरकारी योजनाओं में किया जाने का अनुरोध किया। उनसे यह पूछे जाने पर कि उन्होंने कोई सीएसआर के तहत संस्था बनाकर फंड लेकर कोई ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य की योजनाओं पर काम किया तो उन्होंने कहा कुछ लोगों ने संगठन बनाकर काम तो किया लेकिन बाद में पता चला कि वह उस फंड का इस्तेमाल अपने निजी कामों के लिए कर रहे हैं। इतनी बड़ी तादाद में प्रदेश भर के स्वास्थ्य जन रक्षक सेवक आज बदहाली की जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं उनकी आयु निकल गई है अब वह कहीं और भी काम नहीं कर सकते हैं। 18 साल हो गए हैं वह इस बहाली के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं। उनको प्रदेश सरकार से उम्मीद है कि वह उनकी नौकरी बहाल करने का काम करेंगी।
रिपोर्टर सिद्धार्थ त्रिवेदी रायबरेली
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