उत्तर प्रदेश( राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि )प्रयागराज
प्रयागराज।कोरोना नामक महामारी के भीषण प्रकोप के समय विश्व हिंदू परिषद संगठन का गौरक्षा विभाग काशी प्रांत पूरी तरह से गौसेवा एवं गोपालन हेतु तत्परता के साथ कार्य कर रहा है लॉक डाउन होने के कारण आम आदमी का बिना कार्य बस निकलना बंद हो गया है जिसके कारण निराश्रित बेसहारा गौ माता इस समय ज्यादा ही कष्ट में हैं इस विषय को ध्यान में रखते हुए गौ रक्षा विभाग में कार्य कर रहे गौ सेवकों ने गौ माता को पूरी तरह से सेवा देते हुए उनके गो ग्रास हरे चारे भूसे की व्यवस्था का बीड़ा उठाया है प्रमुखता से कार्य कर रहे प्रयागराज गंगापार के गौसेवक शुभम धर्म प्रचारक जी जिनका कहना है हम हिंदुओं के जीवन का आधार है गौ माता सृष्टि में पंच तत्व के मिलाप से मनुष्य के जीवन का निर्माण है जिसमें अग्नि जल पावक गगन मिट्टी इन पञ्च तत्वों से मिलकर मनुष्य शरीर का निर्माण होता है उसे शरीर में परमपिता परमेश्वर की कृपा से आत्मा का प्रवेश होने पर वह शरीर जीवित होकर जीवात्मा हो जाता है चौराशी लाख योनियों में भटकने के पश्चात यह दुर्लभ मानुष तन प्राप्त हो पाता है इस जीवन का प्रमुख उद्देश्य ईश्वर यही कहते हैं कि सत्कर्म करते हुए अपने जीवन को सार्थक कर मनुष्य परमधाम प्रभु के अनंत श्री चरणों में स्थान प्राप्त कर सकता है और उस पर सबसे अगर उत्तम साधन देखा जाए तो गौ सेवा है गोपालन करते हुए मनुष्य प्रभु श्री के अनंत धाम श्री चरणों में स्थान बड़े ही सरलता के साथ प्राप्त कर कर पाएगा क्योंकि द्वापर में प्रभु श्री कृष्ण ने इस धरती पर जन्म लेकर मनुष्य रूप में जो जीवन व्यतीत किया था उसमें प्रमुखता से अपने बाल्यकाल से ही गौ माता के साथ में रहते हुए उन्हें अपनी मां का दर्जा देकर गोपालन गौ सेवा कार्य करते हुए ही अपने जीवन के कि लंबे समय को बताया था स्वयं परमात्मा होते हुए भी सब कुछ बोल कर गौ माता को अपने साथ चलाने लेकर जंगलों में जाते थे और पूरा दिन उन्हीं को माताओं के साथ अपना व्यतीत किया करते थे और यही नहीं उन्होंने जैसे जय श्री हमारी गौ माता के उनसे इसमें है प्रेम करते हैं उसी तरह प्रभु श्री कृष्ण भी बाल काल में गौमाता से खेला करते थे लेकिन आज अगर देखा जाए तो हम लोगों का दुर्भाग्य का समय आ गया है कि हमारी वही गौमाता क़त्ल खानों में कट रही हैं इस कलयुग में उन्हीं को माताओं का घोर अपमान तिरस्कार किया जा रहा है और भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा था यदि हमारी गौमाता जरा भी पीड़ा होगी उसका कहीं लाखो गुनाह मुझे पीड़ा होगी इतना ही नहीं प्रभु श्री कृष्ण ने अपने मुखारविंद से बड़े ही सुंदर वचनों में स्पष्ट रूप से कहा था सृष्टि में जब भी गौ माता पर अत्याचार होगा उनका तिरस्कार होगा उन्हें बेवजह पीड़ित किया जाएगा उस समय मनुष्य के विनाश का समय होगा और मनुष्य का विनाश यदि कोई टाल सकता है तो वह केवल एक मात्र गौमाता ही होंगी उन्हें के जब दया कृपा होगी तो मनुष्य का विनाश क्षण मात्र में गई चल जाएगा और धरती की गोद में समस्त चराचर जीव प्राणी हंसी खुशी खेलते हुए जीवन को व्यतीत कर पाएंगे इसलिए हे मानव प्राणी आओ लौट चलें गौ सेवा की ओर आओ चले सनातन संस्कृति की ओर रहना हमें उसी गांव में हुए जहां हमारी गौमाता का पालन होगा क्योंकि यदि अमृत जैसा दूध पाना है तो गौ माता को बचाना है यदि उनके उस अमृत रूपी दूध से मक्खन मलाई देसी जी को प्राप्त करना है तो गोपालन को संरक्षण करना है सनातन धर्म के पूजा पद्धति में आदिकाल से ही देसी गौ माता के गोबर गोमूत्र एवं दूध घी दही का विशेष उपयोग रहा है यज्ञ अनुष्ठानों में बिना देसी गाय माता के दूध दही घी गोबर गोमूत्र के योग से अनुष्ठान को पूर्ण ही नहीं किया जा सकता चाहे श्रीमद भगवत कथा हो या भगवान श्री सत्यनारायण की कथा हो इसलिए इस कलयुग रूप में मनुष्य को प्रमुख से गौ संरक्षण के लिए आगे आना ही चाहिए आखिर हम में गौमाता से अमृत जैसा दूध प्राप्त होता है शरीर में हर प्रकार की शक्ति प्रदान करने वाली दही और देसी घी प्राप्त होता है हजारों टन ऑक्सीजन पैदा करने वाला गोबर जिससे कि कंडी बनाकर हम लोग यज्ञ करते हैं देसी घी के द्वारा और वायु का वातावरण शुद्ध हो जाता है जब हमें गौमाता सब कुछ प्रदान करते हुए अंत में जीवन की समाप्त होने पर यदि मोक्ष की प्राप्ति करना है तो वैतरणी नदी भी वही गौमाता पार कर आती हैं फिर क्यों हम उन्हें बुलाकर इस विदेशी चोच लो में पड़ते जा रहे हैं यदि किसी को तार्किक ढंग से एवं वैज्ञानिक शोध के परिणामों द्वारा गौ माता के महिमा एवं लाभ की जानकारी प्राप्त करना है तो वह हमारे संपर्क सूत्र व्हाट्सएप एवं कॉलिंग नंबर 94 7378 5772 संपर्क करते हुए हर प्रकार की जानकारी गौमाता से संबंधित प्राप्त कर सकते हैं पर एक बार फिर निवेदन यही है मेरा आप सभी गौ पालन एवं गौ संरक्षण गौ सेवा के लिए सनातनी हिंदू आ गया है और हर घर पर छत पर भगवा और दरवाजे पर गौ माता हूं जिस दिन हम आप इस कार्य को कर लेंगे उस दिन हमारा आपका कल्याण हो जाएगा और हम आप समस्त दुखों से दूर फिर एक बार सुख अमन-चैन की ओर बढ़ते हुए ईश्वर की परम कृपा को प्राप्त करेंगे क्योंकि धरती माता हैं जो हम सभी का भार उठाती है पर गौ माता है जिस संपूर्ण सृष्टि का भार अपने शरीर में धारण करती गौमाता एक ऐसी बेबी है मां कामधेनु के रूप में जो इच्छा पूर्ति करने वाली परम कृपालु ममतामई माता जिन्होंने स्वयं ईश्वर को अपने शरीर में शरण दिया स्थान दिया देवी देवताओं को संरक्षण देते हुए अपने बोलते हैं शरीर के कोने कोने में 33 कोटि देवी देवताओं को विराजमान कर महा तीर्थ मई रूप में स्वयं सर्वशक्ति बनी ऐसी महिमा माई दया मईया ममता मयी माता यदि हम लोग पीड़ा देते हैं उन्हें कष्ट देंगे तो स्वयं के सुख शांति की कैसे कामना करेंगे समस्त पूजा अर्चना तीर्थ एक तरफ है पर गौ सेवा महातीर्थ है महा पुणे यज्ञ है महा लाभदायक गोधाम जो चलते फिरते रूप में गौमाता का शरीर परमधाम स्वरूप चलते फिरते स्वरूप में दिव्य मंदिर है जहां पर सर्वत्र तीर्थ स्थल एवं 33 कोटि देवी देवता एक साथ विराजमान रहते हैं जय गोविंद जय गोपाल जय गौ माता
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