उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट: । “तंबाकू छोड़िए-अच्छी सेहत से जुड़िये” इसके लिए बच्चों सहित अपने आसपास के लोगों को बताएं कि तंबाकू सेवन से कौन-कौन सी बीमारियां दस्तक देती हैं और उससे शरीर में कौन कौन से रोग पैदा होते हैं जो लाइलाज होते हैं। वहीं सभी लोगों को बताएं कि तंबाकू सेवन न करें और रोगों से छुटकारा पाएं। सभी को कहा गया कि इसका व्यापक प्रचार-प्रसार अपने गांव टोले मोहल्ले में करें। ताकि, लोग तंबाकू का सेवन न करें और तंबाकू मुक्त चित्रकूट बनाया जा सके। उपरोक्त बातें दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा चित्रकूट जनपद में “तम्बाकू नियंत्रण” कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं द्वारा कहीं गई।
चित्रकूट जनपद में “तम्बाकू नियंत्रण” कार्यक्रम का शुभारंभ 8 अप्रैल को कृषि विज्ञान केन्द्र गनीवां में दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन के निर्देशन पर हुआ था। उसके बाद निरंतर दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा सलाम मुंबई फाउंडेशन के सहयोग से “तम्बाकू नियंत्रण” के लिए चित्रकूट जनपद के गांवों में ‘जिंदगी को हां – तंबाकू को ना’ जनजागरूकता कार्यक्रम पिछले 4 माह से आयोजित किए जा रहे हैं।
डीआरआई के रिसोर्स सेंटर प्रभारी विनीत श्रीवास्तव ने बताया कि तंबाकू से स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी काफी असर पड़ता है एवं छात्रों में तंबाकू का सेवन दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बताया कि आज भी कई इलाकों में अतिथियों के स्वागत में तंबाकू सेवन की परंपरा है, जिसे बदलना होगा, क्योंकि बच्चे अभिभावक और अपने बड़ों को देखकर ही तंबाकू का सेवन प्रारंभ करते हैं और इसकी लत में आ जाते हैं।
समाज शिल्पी दंपत्ति प्रभारी हरिराम सोनी ने कहा कि इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर दीनदयाल शोध संस्थान के द्वारा अपने सभी स्वावलंबन केंद्र एवं संपर्कित केंद्रों पर समाज शिल्पी दंपत्तियों एवं सहयोगी कार्यकर्ताओं की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालय एवं ग्राम आबादियों में तंबाकू नियंत्रण के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और बच्चों के साथ अभिभावकों से भी हाथ उठाकर शपथ ली जा रही है।
डीआरआई के स्वावलंबन अभियान प्रभारी डॉ अशोक पांडेय ने कहा कि बच्चों को तंबाकू की पहुंच से दूर रखने के लिए भारत सरकार के तंबाकू नियंत्रण अधिनियम सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम-2003 की धारा 4 एवं 6 के तहत तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान सुनिश्चित करने की व्यवस्था है। धारा-4 के तहत शिक्षण संस्थानों सहित समस्त सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान प्रतिबंधित है। तो धारा-6 (ब) के तहत शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज दायरे में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध एवं संस्थानों द्वारा संस्था के बाहर बोर्ड पर घोषणा पत्र प्रदर्शित करना हाेगा। इस नियम के अनुसार जिले में कोई कार्य नहीं हो रहा है। शासन स्तर पर कुछेक जगह प्रयास भी हो रहे हैं तो उसके अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं।
जन शिक्षण संस्थान चित्रकूट के परियोजना अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बताया कि जन शिक्षण संस्थान एवं आरोग्यधाम के द्वारा भी अपने स्वास्थ्य शिविरों एवं दंत चिकित्सा निवारण कैंपों के माध्यम से चित्रकूट जनपद के ग्रामों एवं विद्यालय परिसरों में अपने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं चिकित्सकों के माध्यम से तंबाकू से होने वाले दुष्परिणामों को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। धूम्रपान मुक्त चित्रकूट एक कार्यक्रम नहीं बल्कि एक महा अभियान है जिसमें हम सभी वर्ग को आगे आने की जरूरत है क्योंकि धूम्रपान के कारण होने वाले फेफड़ों के कैंसर से देश में हर साल लाखों मौतें होती हैं। लोगों को इस खतरे से आगाह करने के लिए केंद्र सरकार ने सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर पाबंदी लगा रखी है। मगर इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा। आम सार्वजनिक जगहों की तो छोड़िये, बच्चों के स्कूलों में भी इस कानून के प्रति कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी जिलों में सरकारी स्कूलों के बाहर धूम्रपान न करने की चेतावनी और उससे होने वाले नुकसान दर्शाने वाले बोर्ड लगाने के आदेश दिए थे, लेकिन जिले के अधिकांश स्कूलों में ये बोर्ड नहीं लगे हैं।
*स्कूलों के पास बिक रहा गुटखा-सिगरेट*
स्कूलों और कॉलेजों के सौ गज के दायरे में बीड़ी, सिगरेट या गुटखा जैसे तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर पूर्ण पाबंदी का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। नियमों के मुताबिक सभी शैक्षणिक संस्थानों को अपनी बाउंड्री के बाहर की ओर यह सूचना लगाना आवश्यक है कि उसके सौ गज के दायरे में तंबाकू उत्पादों की बिक्री प्रतिबंधित है। दर्जनों स्कूलों और कॉलेजों के आगे पान की गुमटियों में तंबाकू उत्पादों की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। छात्र धड़ल्ले से गुटखा खरीदकर चबाते हैं। इन सब के बाद भी जिला प्रशासन व स्कूल प्रबंधन इस स्थिति से आंखे मूंदे हुए है।
*कश के छल्लों में उड़ा कानून*
धूम्रपान पर नियंत्रण के लिए वर्ष 2003 में सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम (कोटपा) बनाया गया। इसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करते हुए पाए जाने पर न्यूनतम दो सौ रुपए से लेकर दस हजार तक जुर्माना वसूलने का प्रावधान है। साथ ही सभी विक्रेताओं को खुलेआम तम्बाकू सामग्री बेचने व प्रदर्शन करने पर रोक लगाई गई थी। मगर इसका कहीं भी पालन होते नहीं दिखता।
*यह है तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम-2003*
धारा 4 – सार्वजनिक स्थानों के प्रभारी प्रवेश द्वार पर सुस्पष्ट स्थान पर धूम्रपान निषेध के बोर्ड लगाएंगे। बोर्ड पर प्रभारी, जिसके पास उल्लघंन की शिकायत की जानी है उनके फोन नम्बर लिखे हों। प्रभारी उल्लंघन करने वाले पर कार्रवाई नहीं करता है, तो उस पर व्यक्तिगत अपराधों की संख्या के समतुल्य जुर्माना लगाया जाएगा।
धारा 6 ए – 18 वर्ष से कम आयु वर्ग को तम्बाकू बेचना भी अपराध है।
ब्रिकी के स्थान पर धूम्रपान निषेध बोर्ड लगाना आवश्यक है।
धारा 6 बी- शिक्षण संस्थानों के 100 गज के दायरे में तम्बाकू पदार्थ बेचना अपराध है।
धारा 4 व धारा 6 – नियमों के उल्लंघन पर 200 रुपए तक जुर्माना किया जा सकता है।
धारा 5 – सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध।
*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट
You must be logged in to post a comment.