फसल अवशेष खेत में न जलायें किसान,खेतों में ही प्रबंधन कर बनाएं खाद:-डीएम

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय(दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट। जिलाधिकारी शुभ्रान्त कुमार शुक्ल ने जिले के किसानों से अनुरोध है कि भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने की के बारे में सोचें। फसल अवशेष खेतों में जलाकर सूक्ष्म जीवों को क्षति न पहुंचाएं, भूमि की उर्वरा शक्ति को प्रभावित न करें । पराली का प्रयोग जैविक खाद बनाने में करें। धान की पुआल/ पराली अपने समीपवर्ती गौशाला को दान करें, अपने पालतू पशुओं को चारे के रूप में खिलाएं, फसल अवशेष जलाकर भूमि व पर्यावरण को प्रदूषित न करें। समय समय पर निर्गत न्यायालय/न्यायाधिकरण के आदेशों का पालन करें। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा किसानों को कृषि यंत्र क्रय करने पर अनुदान दिया जा रहा है। पराली प्रबंधन के लिए सुपर स्ट्रा, रीपर आदि कृषि यंत्रों पर शासन द्वारा अनुदान दिया जा रहा है । कृषक अनुदान पर कृषि यंत्र खरीद कर पराली प्रबंधन से खेत को अधिक उपजाऊ बना सकते हैं।

धान की फसल का अवशेष (पराली) खेतों में किसी भी दशा में न जलाएं। फसल अवशेषों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी के पोषक तत्व को भी अत्यधिक क्षति एवं मिट्टी के भौतिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। फसल अवशेषों को खेतों में जलाए जाने कारण भूमि के बंजर होने का खतरा बना हुआ है।
होगा जुर्माना :-
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेशानुसार खेतों में फसल अवशेष जलाना दंडनीय अपराध है। पराली जलाने पर जुर्माना भी हो सकता है। दो एकड़ तक 2500 रुपये, दो से पांच एकड़ तक फसल की पराली जलाने पर 5000 रुपये एवं पांच एकड़ से अधिक की भूमि पर 15000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को व्यक्तिगत 50 प्रतिशत एवं पंजीकृत समितियों को 80 प्रतिशत छूट कृषि अवशेष प्रबंधन के यंत्रों पर दी जाती है। कंबाइन हार्वेस्टिंग मशीन के साथ स्ट्रा रीपर विद बाइंडर का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाए । बिना रीपर मशीन का प्रयोग करने वाले कंबाइन मशीन चालकों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
जिलाधिकारी ने पराली जलाने से रोकने को बनाई टीम:-
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की अध्यक्षता में जिला स्तरीय मॉनिटरिंग सेल बनाई गई है जिसके सदस्य सचिव जिला कृषि अधिकारी होंगे। इस सेल में जिले के आला अफसरों को रखा गया है जो फसल अवशेष जलाने की सतत निगरानी करते रहेंगे और मामला प्रकाश में आने पर विधिक कार्यवाही कराएंगे।
इसी तरह तहसील स्तर पर एस. डी. एम. उड़नदस्ता प्रभारी होंगे जिनके साथ पुलिस क्षेत्राधिकारी व कृषि विभाग के अधिकारी समन्वय करके पराली व कृषि अपशिष्ट जलाने पर नज़र रखेंगे।
डी. एम. ने प्रधानों को लिखा पत्र :- माननीय राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा फसल अवशेष जलाए जाने की घटनाओं पर रोक लगाने व इनके प्रबंधन के लिए लोगों को जागरूक किए जाने के आलोक में जिलाधिकारी शुभ्रान्त कुमार शुक्ल ने जिले के सभी ग्राम प्रधानों को पत्र लिखकर आह्वान किया है कि अपनी ग्राम सभा में एक भी पराली जलाने की घटना न होने दें। लोगों को फसल अवशेष खेत में ही सड़ाकर खाद बनाए जाने के लिए प्रेरित करें। कृषि विभाग के बीज गोदामों में वेस्ट डिकॉम्पोज़र निःशुल्क उपलब्ध है उसके द्वारा पराली को सड़ाकर खाद बनाएं। पराली या फसल अवशेष न जलाएं अन्यथा कानूनी कार्यवाही के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट