उभरते भारत में नई कृषि तकनीक अमित सिंह

उत्तर प्रदेश ( राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि) लखनऊ

 

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र को सबसे प्रमुख माना जाता है. भारत गेहूं, चावल, दालें, मसालों समेत कई उत्पादों में सबसे बड़ा उत्पादक देश है. हमारे देश के कृषि क्षेत्र (Agricultural Sector) में सुधार और ग्रामीण विकास के लिए कई नई पहल की जा रही हैं.कृषि में सुधार लाने में कई क्षेत्रों का अहम योगदान रहता है, लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology/IT) की एक महत्वपूर्ण भूमिका है.

इस क्षेत्र में अभिनव विकास की वजह से किसानों को फसल का बेहतर उत्पादन प्राप्त करने में मदद मिलती है. आज हम इस लेख में कृषि की नई तकनीक (New Agricultural Technology) की जानकारी देने जा रहे हैं, जो भारतीय कृषि को बदलने की क्षमता रखती है.

कृषि की नई तकनीक (New Agricultural Technology)

ड्रोन्स (Drones)

भारत कृषि में अग्रणी है, इसलिए इसे ड्रोन को अपनाने की आवश्यकता है. इसका उपयोग कृषि में कई उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. जैसे, इसकी मदद से कई कार्यों की निगरानी की जा सकती है. इसके जरिए किसान कम लागत और समय में फसल की अच्छी और ज्यादा पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. किसान भाई उन्नत सेंसर और डिजिटल इमेजिंग क्षमताओं के साथ ड्रोन का उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही ड्रोन मिट्टी की उच्च गुणवत्ता वाली 3-डी छवियों को कैप्चर करने में सक्षम है. इसके अलावा फसल स्प्रेइंग, फसल निगरानी, रोपण और फंगल संक्रमण के स्वास्थ्य का विश्लेषण करने में ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है. इसका उपयोग सिंचाई में भी किया जा सकता है, क्योंकि यह खेतों को ट्रैक कर सकता है.

 

जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology)

जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology) नई तकनीक नहीं है, लेकिन यह एक आवश्यक उपकरण जरूरी है. यह तकनीक किसानों को उन्नत कृषि पद्धतियों का उपयोग करके कम क्षेत्र पर अधिक भोजन पैदा करने की शक्ति प्रदान करता है, जो पर्यावरण के अनुकूल हैं. इस तकनीक के उपोग से पौधों और पशु-निर्मित अपशिष्ट का उपयोग किया जाता है, जो खाद्य पदार्थों की पौष्टिक सामग्री में सुधार कर सकती है.

नैनो विज्ञान (Nano science)

कृषि क्षेत्र की कुछ तकनीक के तहत रसायनों का व्यापक उपयोग किया जाता है, जिससे  पर्यावरण के लिए कम हानि पहुंचती है. नैनो तकनीक (Nano science) इन पदार्थों को अधिक उत्पादक बनाने में मदद करती है. इस तकनीक को छोटे सेंसर और निगरानी उपकरणों के रूप में लागू किया जाता है, जिससे फसल की अच्छी वृद्धि होती है. यह एक उभरती हुई तकनीक है, जो उन समस्याओं को हल निकालती है.
किसानों को नैनो-बेस्ड स्मार्ट डिलीवरी सिस्टम और नैनो-सेंसर बताते हैं कि कृषि में पानी और पोषक तत्व प्रभावी ढंग से उपयोग किए गए या नहीं. इसके अलावा खेत में उत्पादित भोजन की गुणवत्ता की निगरानी करते हैं.

भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी (Geospatial Technology)

अगर किसान भाई फसल में अपने क्षेत्र में सबसे उपयुक्त उर्वरक और सामग्री का सही अनुपात में प्रयोग करते हैं, तो इससे फसल का उत्पादन अच्छा प्राप्त होता है. बता दें कि हर क्षेत्र में मिट्टी आनुवंशिक रूप से परिवर्तनीय होती है. ऐसे में हर जगह के लिए कोई विशेष उर्वरक काम नहीं करता है.

इसके साथ ही उर्वरक बहुत महंगा है, इसलिए इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए. तो भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी (Eospatial Technology) द्वारा सही उर्वरक और उसके सही अनुपात को निर्धारित किया जाता है. भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी तकनीक से बड़े पैमाने पर खेती को प्रभावी ढंग से किया जा सकता है. खेती के आवश्यक कारकों के आधार पर फसल का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. जैसे कि…
• pH दरें

• कीट प्रकोप

• पोषक तत्व उपलब्धता

• फसल विशेषताओं

• मौसम की भविष्यवाणियां

बिग डेटा (Big Data)

मौजूदा समय में बिग डेटा (Big Data) से स्मार्ट खेती की जा सकती है. इसकी मदद से किसानों की निर्णय लेने की क्षमता में सुधार हो सकता हैं. इसका विचार कृषि क्षेत्र में संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर देना है.

बता दें कि भारतीय बाजार में नए डेटा संग्रह उपकरणों को लगातार पेश किया जा रहा है. सार्वभौमिक सेंसर सिस्टम का उपयोग आईओटी के आधार पर विभिन्न स्रोतों से डेटा एकत्र करने में किया जाता है. जैसे, किसानों को नमी परिशुद्धता सेंसर सुनिश्चित करता है कि फसलों को किसी पोषक तत्वों की जरूरत है.