गणेश उत्सव क्यो मनाते है :जिलाध्यक्ष

दैनिक कर्म भूमि।कानपुर।हिंदुओं के सबसे प्रिय देवताओं में से एक,भगवान गणेश ज्ञान समृद्धि और सौभाग्य के देवता हैं।योगेन्द्र कुमार सिंह जिलाध्यक्ष हाई स्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ ने बताया कि मान्‍यता है कि इस दिन भगवान गणेशजी का जन्‍म हुआ था और इसलिए पृथ्वी पर उनके जन्म के शुभ अवसर को उनके भक्तों द्वारा दुनिया भर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। मंगल मूर्ति बप्पा मोरया को गणेश चतुर्थी के दिन ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते गाते हुए बप्पा को घर-घर स्थापित किया जाता है।

*श्री गणेश महोत्सव की शुरुआत कैसे हुई*

गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। जिलाध्यक्ष ने कहा कि इस त्योहार को गणेश चतुर्थी कहा जाता है और यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्र महीने में मनाया जाता है,जो आमतौर पर हर साल अगस्त या सितंबर में पड़ता है।गणेश चतुर्थी के दौरान, कई भक्त भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति को घर लाते हैं,घर को सजाते हैं,भक्ति गीत/आरती गाते हैं और पूरे मन से प्रार्थना करते हैं, उन्हें मिठाई और फूल विशेष रूप से उनके पसंदीदा मोदक चढ़ाते हैं।यह उत्सव दस दिनों तक जारी रहता है,दस दिनों तक उनकी पूजा-आराधना के साथ भगवान गणेश को अपने घर लाने से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है।

*गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है*

श्री सिंह ने कहा कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार वह शिव और पार्वती के पुत्र भगवान गणेश जी के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। गणेश-चतुर्थी का मतलब भादों और माघ की शुक्ला चतुर्थियाँ जिनमें गणेश का पूजन और व्रत होता है।

*गणेश चतुर्थी कब शुरू हुआ*
जिलाध्यक्ष ने बताया कि गणेश चतुर्थी की शुरूवात 1893 में महाराष्ट्र से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की। उस समय आज की तरह पंडाल नहीं बनाए जाते थे और ना ही सामूहिक गणपति विराजते थे। पहले भी गणपति उत्सव बनाया जाता था पर वह सिर्फ घरों तक ही सीमित था। सन् 1893 में सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरूआत की। हिंदू धर्म को संगठित करने के उद्देश्य से। गणेशोत्सव एक धार्मिक उत्सव होने के कारण अंग्रेज शासक भी इसमें दखल नहीं दे सकेंगे।

*गणेश जी का विसर्जन क्यों किया जाता है*

जिलाध्यक्ष ने बताया कि पुराणों के अनुसार,वेद व्यास जी भगवान गणेश को कथा सुनाते थे और बप्पा उसे लिखते थे. कथा सुनाते समय वेद व्यास जी ने अपने नेत्र बंद कर लिए. वो 10 दिन तक कथा सुनाते गए और बप्पा उसे लिखते गए. लेकिन जब दस दिन बाद वेद व्यास जी ने अपने नेत्र खोले तो देखा कि गणपति जी के शरीर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया था दस दिन बाद जब व्यास जी ने अपनी आंखे खोली तो उस वक्त गणपित के शरीर का तापमान बेहद बढ़ गया था, जिस कारण व्यास जी ने गणेश जी के शरीर को ठंडा करने के लिए उन्हें जल में डुबई लगवाई जिसके बाद उनका शरीर शांत हो गया।
संवाददाता।आकाश चौधरी