राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि)
बूंदी
राजस्थान बूंदी. कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के बीच जोधपुर से मजदूरों को बूंदी भेजे जाने में प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. बताया गया कि प्रशासन ने कोरोना के संक्रमण के खतरे के बावजूद बगैर स्क्रीनिंग किए 130 मजदूरों को 2 बसों में ठूंसकर जोधपुर से बूंदी भिजवा दिया. बूंदी पहुंचने के बाद भी इन मजदूरों की परेशानी खत्म न हुई, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया. राजस्थान समेत पूरे देश में 25 मार्च से लॉकडाउन के बाद बूंदी के विभिन्न क्षेत्रों के रहने वाले ये मजदूर जोधपुर के बाप और नाचना इलाके में फंस गए थे.
शासन के आदेश पर आनन-फानन में कार्रवाई
दरअसल, लॉकडाउन की वजह से राज्य के विभिन्न शहरों में फंसे मजदूरों को उनके गृह जिले भिजवाने का आदेश प्रदेश सरकार ने दिया है. इसी आदेश के बाद जोधपुर प्रशासन ने इन 130 मजदूरों को बूंदी भिजवाने का निर्णय लिया. आनन-फानन में तैयारियां की गईं और लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन कर 2 बसों में सभी को बूंदी रवाना कर दिया गया. जब इन मजदूरों से भरी बसें बूंदी पहुंचने की सूचना स्थानीय पुलिस को मिली तो तुरंत कोतवाली थाना लोकेंद्र पालिवाल ने दोनों बसों को बाईपास पर रुकवाया. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इन मजदूरों की स्क्रीनिंग की.
बूंदी से घर जाने तक का इंतजाम नहीं
जोधपुर से बूंदी पहुंचने के बाद भी इन मजदूरों की परेशानी खत्म न हुई. चिलचिलाती धूप में इन्हें इनके घरों तक पहुंचाने का कोई भी इंतजाम प्रशासन ने नहीं किया था. लिहाजा बच्चों को गोद में उठाए और सिर पर सामान लेकर ये मजदूर पैदल ही अपने गंतव्यों की ओर रवाना हो गए. पैदल जा रहे मजदूरों ने बताया कि उन्हें जोधपुर में भी खाने-पीने को कुछ नहीं दिया गया था. दो दिनों से भूखे थे, इसी बीच बूंदी जाने को कह दिया गया. बूंदी पहुंचने के बाद भी प्रशासन की ओर से इन मजदूरों के खाने-पीने का प्रबंध नहीं किया गया था. कड़ी धूप और गर्मी से बेहाल मजदूर परेशान होकर आखिरकार पैदल ही घर के लिए निकल पड़े.
*रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया*
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