हर किसी को मिले खेलो में निखरने का अवसर।

उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) अयोध्या । राष्ट्रीय खेल दिवस पर इस बार सब फीका है। खेलो को बढ़ावा देने के लिए हम महज सुझाव दे सकते है। किसी खेल का आयोजन नही कर सकते है बस औपचारिक रूप से उसे मानने की रवायत निभा सकते है। खेल के क्षेत्र में हिन्दुस्तान ने हमेशा अपना हुनर प्रतिभा और कौशल से हर साल अपना ध्यान आकृष्ट किया है लेकिन दुर्भाग्यवश इस बार कोरोना महामारी ने किसी प्रतिभा को उभरने का वह अवसर नही दिया जो हर साल किसी महिला या पुरुष को मिल जाता था। भारत मे खेलो को लेकर कई करोड़ का भारी भरकम बजट तैयार किया जाता है लेकिन वह खेल के प्रति पूरी निष्ठा और दीवानगी रखने वालों और कुछ कर गुजरने वाले युवाओ तक नही पहुंच पाता है। अभी दो दिन पहले हमसे एक युवा ने कहा कि सर हम माउंट एवरेस्ट पर फतह करना चाहते है उसकी बातों में एक स्थायी उत्साह और दृढ़ संकल्प झलक रहा था। मैंने मदद करने का भरोसा दिया लेकिन गांव में उस उत्साह को बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से क्या कवायद है कुछ समझ मे नही आता है। कम से कम ऐसा होना चाहिए कि गांव में यदि कोई किशोर या युवा किसी भी खेल के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहता है तो उसके लिए जिले स्तर पर काउंसिलिंग के लिए कोच हमेशा उपलब्ध रहे जिससे उसकी आकांक्षा और भावना आहत न हो सके उसे अवसर मिल सके । कोरोना काल ने खेलो को बहुत क्षति पहुंचाई है इसकी भरपाई करना मुश्किल है फिर भी जो युवा खेल के क्षेत्र में कुछ करना चाह रहे है वे धैर्य और संयम के साथ अपने लक्ष्य के लिए प्रयासरत रहे।

पवन कुमार चौरसिया ब्यूरो अयोध्या मंडल ।