सुशांत और रिया के फेर में मीडिया ! पंकज कुमार मिश्रा

उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि )जौनपुर

सुशांत और रिया के फेर में मीडिया !

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या ने पूरे बॉलीवुड के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है । सुशांत की पूर्व प्रेमिका रिया चक्रवर्ती सी बी अाई जांच का सामना कर रही है वहीं सुशांत की बहन स्वेता सिंह कीर्ति प्रसिद्धि पाने के लिए सुशांत केस को नए नए ट्वीट से और उलझा रही । सुशांत आत्महत्या केस की आंच में पूरा बॉलीवुड जल रहा । करन जौहर ,महेश भट्ट, सलमान खान इत्यादि तो बकायदा ट्रोल हो रहे । राजनीति में सिर्फ शब्दों की पूंजी खर्च करनी पड़ती है। भरोसेमंद व मित्रतापूर्ण रिश्तों में निवेश करके ‘अभिजात्य दलाली’ को गति देनी होती है। फिर सारे रिश्ते, रास्ते और जोखिम दिल्ली के पेशेवर दलाल समझा देते हैं। अब तो इनके चेले पटना, लखनऊ आदि में भी गन्ध फैलाये हुए हैं।स्वाद के 6 बंगाली रसों की तरह मंडी हाउस स्थित बंगाली मार्केट से रस ले ले कर बतियाना और फिर जरूरत पड़ने पर शब्दों से लतियाना सीख गए तो धुरंधर राजनेता बन गए। लाभ तो होगा ही, घाटे की भरपाई भी करवाने वाले मिल जाएंगे। सिर्फ रोने की कलाकारी और हंसने की अदाकारी सीखने में जो वक्त लग जाये। कुछ धक्के खाओगे, सब सीख जाओगे।
सुशांत केस में यदि बॉलीवुड कि कलई खुलती है तो , यहां से हर रास्ता तिहाड़ जेल का मार्ग प्रशस्त करता है। वो हुनर होती है जो लुटियन को लूटकर यहीं पर जमी रहती है। यहां कोई बलवान नहीं होता, सिर्फ वक्त को छोड़कर। यहां कोई रिश्तेदार नहीं होता, मतलब सध जाने के बाद! बशर्ते, दो लाइट पैग की जरूरत नहीं हो ,पर जांच के घेरे में जो कलाकार हैं, वो जूनियर आर्टिस्ट हैं। ये वो कलाकार हैं, जिन्हें स्ट्रगल के बावजूद बॉलीवुड में और टीवी इंडस्ट्री में जगह नहीं मिली तो अपने खूबसूरती के दम पर प्रतिभाशाली और खूबसूरत अभिनेताओं को फंसा कर बॉलीवुड में अपनी धाक जमाते रहे हैं । आज़ादी के करीब 70 साल बाद 2016 में कई बॉलीवुड अभिनेत्रियों को प्लेटफॉर्म दिया चाइनीज़ ऐप टिकटॉक ने। देश में कलाकारों की कोई कमी नहीं है। फिर क्या, लोगों के अंदर छिपी प्रतिभा सोशल मीडिया पर हिलोरे मारने लगी। कई लोगों को पहचान भी मिली। टिकटॉक किंग, टिकटॉक क्वीन की लाइन लग गई। कइयों के मिलियंस, बिलियंस लाइक्स तक पहुंच गए। कुछ हमारे जैसे भी जबरदस्ती टिकटॉक डाउनलोड करने वाले भी कलाकार जो 100 और 1000 लाइक्स तक भी नहीं पहुंच पाए। हमारे जैसे कलाकार इस इंडस्ट्री के तुषार कपूर, उदय चोपड़ा, संजय कपूर और फरदीन खान साबित हुए। टिकटॉक बैन होने से हमारे जैसे सुपर-डुपर फ्लॉप कलाकारों को कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि हम लोग का क्या है। हम लोग कभी भी अनइंस्टाल करके चले जाएंगे।

आज “सोशल मीडिया” पर रिया चक्रवर्ती ट्रेंड कर रही है। टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया का बैन होना उन कलाकारों के मुंह पर लात है, जो बहरूपिया बनकर मनोरंजन करते थे जिसमे कभी ये बॉलीवुड कलाकार भी शामिल थे । ये “आत्मनिर्भर भारत” का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म साबित होने वाला था। मनरेगा और प्रवासी मज़दूरों से भी ज्यादा लोगों को काम मिलने वाला था, लेकिन सब धरा का धरा रह गया। अब ये डायलॉग भी इतिहास बनकर रह जाएगा। “एक टिकटॉक लाइक की कीमत” तुम क्या जानो रमेश बाबू”। उधर मोदी जी कोरोना, अनलॉक-2, चीन, कांग्रेस और अपनी उपलब्धियों आदि पर तो बोलेंगे पर उन्हे मध्यमवर्गीय गरीबी और महंगाई के बोझ से दबते प्राइवेट शिक्षकों के लिए भी मन की बात करनी चाहिए । यदि इन मुद्दों से बचना हो तो इसके लिए वो 20 करोड़ टिकटॉक कलाकारों के लिए भी राहत पैकेज का एलान कर सकते हैं। उसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस इसके बारे में विस्तार से बताएंगे और महंगाई और बेरोजगारी दूर हो जाएगी । हो सकता है कि पीएम मोदी जी टिकटॉक के दूसरे विकल्प तलाशने के बारे में भी बोल दे। यदि ना भी बोलें तो कोई बात नहीं। उनका क्या है, टिकटॉक पर तो हैं नहीं, झोला उठाकर चल देंगे।
______ पंकज कुमार मिश्रा ( एडिटोरियल कॉलमिस्ट एवं पत्रकार 8808113709)