उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) लखनऊ,11 फरवरी 2021 वनों की अग्नि से सुरक्षा एवं प्रभावी रणनीति हेतु प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उ0प्र0, समस्त वनाधिकारियों को निर्देश दिये है। स्थानीय स्तर पर गोष्ठियों व बैठकों का आयोजन कर वन अग्नि से पर्यावरण को होने वाली क्षति के सम्बन्ध में स्थानीय जनता को शिक्षित व जागरूकता स्तर में वृ़द्ध कर वनों की अग्नि से सुरक्षा के साथ ही वन अग्नि प्रबन्धन की आवश्यकता व महत्व के सम्बन्ध में उन्हें जानकारी दें। विभिन्न प्रसार माध्यमों का उपयोग कर वनों के समीपवर्ती ग्रामों व कस्बों में अग्निकाल की अवधि व इस अवधि में वन क्षेत्र में प्रतिबन्धित गतिविधियों का व्यापक प्रचार करने, वन क्षेत्रों में प्रमुख स्थानों व निकासी चौकियों पर नोटिस लगाकर अग्निकाल की सूचना व इस अवधि में की जाने वाली सावधानियों का उल्लेख किया जाय। कार्ययोजना में उल्लिखित क्षेत्रों में नियंत्रित दाहन एवं नई अग्नि रेखाओं का निर्माण तथा रख-रखाव सुचारू रूप से करने तथा नियंत्रित दाहन को भूमि प्रबन्ध का उद्देश्य प्राप्ति के साधन के रूप में प्रयोग करने का निर्देश दिया गया। अपने क्षेत्र में वनों की अग्नि से सुरक्षा के लिए पूर्ण प्रयास करने तथा प्रभाग में अग्नि प्रबन्धन के लिए उपलब्ध संसाधनों का दक्षता पूर्वक, प्रभावी रूप से प्रयोग करें। प्रत्येक प्रभागीय वनाधिकारी, अपने समस्त फील्ड कर्मचारियों का भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून की वेबसाईट में मोबाईल एस0एम0एस0 अलर्ट हेतु पंजीकरण करायें। संरक्षित क्षेत्रों-राष्ट्रीय उद्यानों व वन्यजीव विहारों को अग्नि से बचाने हेतु विषेश सतर्कता बरतनी आवश्यक है। संरक्षित क्षेत्रों में वन अग्नि नियंत्रण व प्रबन्धन में ईको विकास समितियों का भी सक्रिय सहयोग प्राप्त करें।
वन अग्नि नियंत्रण व प्रबन्धन में गठित विभिन्न समितियों यथा ‘संयुक्त वन प्रबन्ध‘ के अन्तर्गत गठित ग्राम वन समिति, इको विकास समिति, वन विकास अभिकरण व जनपद में अवस्थित अन्य संगठनों से सम्पर्क कर सक्रिय सहयोग प्राप्त करें।
रिपोर्टर सिद्धार्थ त्रिवेदी रायबरेली
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