उत्तर प्रदेश ( दैनिक कर्मभूमि )जौनपुर
जौनपुर।डीजल की बढ़ती कीमतों पर जिस तरह की मानसिकता से इस वृद्धि का समर्थन हो रहा है वह न तो तथ्यात्मक है न ही स्वीकार्य। देश में अधिकांश जनसंख्या निम्नमध्यवर्गीय है या गरीब या फिर छोटे स्तर के किसान। पंद्रह हजार मासिक पर नौकरी वाले को बीपीएल सूची में सुविधा नहीं मिलती उसके रसोई का बजट सोचिए। छोटे किसान के लिए बढ़ा हुआ डीजल उसकी फसल की लागत बढ़ाने वाला है। उसकी परवाह कौन करेगा।आखिर गरीब मजदूर किसान के नाम पर बनती बिगड़ती सरकारें आज गरीब किसान के प्रति अपना उत्तरदायित्व क्यों नहीं समझती। समर्थकों से जब एमएसपी पर कानून की बात होती है तो नक्सली बता देते हैं और बढ़े हुए डीजल की बात होती है तब भी अनाप शनाप शब्दों का इस्तेमाल होता है।आखिर किसानों को दोगुना मूल्य दिलाने की बात हुई थी पर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य ही तय नहीं करना चाहती ऊपर से कोढ़ पर खाज डीजल की प्रतिदिन मूल्य वृद्धि। डीजल मूल्य वृद्धि सिर्फ छोटे किसानों का ही मामला नहीं है दैनिक उपभोग की समस्त वस्तुओं की मूल्य वृद्धि से भी है। जिनकों सिर्फ डीजल एक ईंधन मात्र दिखता है उन्हें कौन समझाए की डीजल सीधे सीधे हर नागरिक के जेब से जुड़ा मामला है। महंगाई का प्रमुख कारक भी।जिन लोगो को किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी नहीं मिलती। गैस की सब्सिडी भी भक्तई में काफी लोगत्याग चुके है। मोदी जी के आवाहन से पहले आत्मनिर्भर भारत का पक्षधर होकर आम आदमी अपनी जेब पर डाका डालवा चुका है,अब आप बताएं पाकिस्तान चीन का डर दिखाकर कब तक हर जायज नाजायज चीजो को सही कहलाते रहेंगे।मेरा मानना है कि देश भाजपाई और कांग्रेसी से ऊपर है यहाँ सामान्य भारतीय नागरिक भी हैं जिन्हें रोज रोजी रोटी की व्यवस्था अपने न्यूनतम संसाधनों में करनी होती है।न उसमे उनको कोई सरकारी सहयोग नही मिलता। अतः मेरी सरकार से मांग है कि पेट्रोलियम उत्पादों के दाम में अपने टैक्स वाले स्लैब से है राहत दिला दे। और हम सभी को जीने का हक दे, जो हमारा अधिकार भी है
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