राजाओं की आरटीआई और आरटीआई का राजा ओयल रियासत ने दिया जिलाधिकारी और उप निबन्धक को धन्यवाद

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) लखनऊ,20 फरवरी 2021 वर्ष 1928 में जब ओयल रियासत जनपद खीरी के तत्कालीन राजा युवराज दत्त सिंह ने अपने महल को किराये पर चढ़ाया था तब वह यह कभी भी नहीं सोच सकते थे कि लगभग एक शतक बाद उनका यह महल आरटीआई की एक मिसाल बन जायेगा। वर्ष 1928 में राजा ने अपने महल को उस समय के डिप्टी कलेक्टर को 30 वर्षों के लिये किराये पर दिया था। हिन्दुस्तान के आजाद हो जाने के बाद ये किरायेदारी पुनः 30 वर्षों के लिये बढ़ा दी गयी थी। राजा युवराज की मृत्यु वर्ष 1984 में हो गयी। ओयल परिवार ने अपने पुश्तैनी महल के अभिलेखों की छानबीन शुरू की। कई वर्षों तक उपरोक्त अभिलेख को ढूढ़ने का सिलसिला चलता रहाए अन्ततः पूरे प्रकरण को अपने कब्जे में लेते हुए राजा युवराज दत्त सिंह के पोते कुँवर प्रद्युम्न नारायण दत्त सिंह ने स्टार आरटीआई एक्टीविस्ट सिद्धार्थ नारायण को अपनी पुस्तैनी सम्पत्ति की समस्या समझायी। दो साल की समय सीमा तय की गयी एवं लक्ष्य तय किया गया कि उपरोक्त सम्पत्ति के मूल अभिलेख को खोज लिया जायेगा। इस क्रम में चार आरटीआईयाचिकायें जिलाधिकारी कार्यालयए मण्डलायुक्त कार्यालयए वित्त विभाग एवं राजस्व परिषद को पार्टी बनाते हुए सूचना मांगी गयी। सारी आरटीआईधारा .6 य3द्ध के अन्तर्गत जिलाधिकारी कार्यालय जनपद लखीमपुर खीरी को स्थानान्तरित कर दी गयी। सारी याचिकायें दिनांक 28 अगस्तए 2019 कोदायर की गयी थी और 27 मार्चए 2020 को लिखित सूचना प्राप्त हुई कि राजा युवराज दत्त सिंह के द्वारासम्पादित मूल अभिलेख उनके पोते कुंवर प्रद्युम्न नारायण दत्त सिंह को आरटीआई के तहत प्राप्त हुए। साथ ही यह भी साबित हुआ कि उपरोक्त सम्पत्ति का खाता सं0.5 एवं खसरा सं0.359 है। यह मूल खसरा संख्या है। इस सूचना को पाते हुए ओयल रियासत के बड़े राजा विष्णु नारायण दत्त सिंह ने मीडिया से मुखातिब होते हुए अत्यन्त प्रसन्ता जाहिर की एवं तहेदिल से जिलाधिकारी खीरी शैलेन्द्र कुमार सिंह एवं एसआरओ
कैप्टन एसपी दूबे का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर युवरानी आराधना सिंह ने महिला सशक्तीकरण एवं मिशन शक्ति प्रोग्राम में अपना
योगदान देने की बात कही। ओयल रियासत के कुँवर हरिनारायण सिंह जी ने पूरे प्रकरण पर पूरे जिलाधिकारी कार्यालय जनपद खीरी काधन्यवाद व्यक्त किया।
कुँवर प्रद्युम्न नारायण सिंह ने उपरोक्त सम्पत्ति का रख.रखाव एवं उसको अदब से रखने की एवं स्वच्छता अभियान के अधीन सदेव हरा.भरा एवं स्वच्छ रखने की प्रार्थना की। सिद्धार्थ नारायण का सबने दिल से शुक्रिया अदा किया। सिद्धार्थ ने बताया कि ओयल एक ऐसी रियासत है जो भविष्य एवं वर्तमान में विश्वास रखती है एवं वह इस बात से बहुत प्रभावित हुए कि 75 वर्ष की उम्र में बड़े राजा साहब विष्णु दत्त सिंह ट्यूटर, फेसबुक, इन्स्ट्राग्राम एवं वाट्अप का रोजाना उपयोग करते है और इस बात पर सिद्धार्थ नारायण ने अत्यन्त गर्व महसूस किया कि उनके द्वारा दिये गये दो वर्ष के समय सीमा के अन्तर्गत ओयल राजघराने की सम्पत्ति के 93 साल पुराने अंग्रेजों के जमाने के मूल अभिलेख उन्होंने 10 महीने में खोज डाले। यह भारत का प्रथम ऐसा आरटीआई का केस है जिसमें 10 महीने की समय.सीमा एवं 10ध् .रूपये के शुल्क में एक अरब की सम्पत्ति का स्वामित्व सिद्ध हुआ है। सूचना अधिकार क्षेत्र में अतूल्य योगदान के
लिए सिद्धार्थ नारायण को उप्र के मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका हैं। उनके कुछ प्रमुख केसों में आगरा के चर्च पर हमलाए शक्तिमान घोड़ाण्
शारदा मर्डर केस माही की गुमशुदगी एवं अन्य शामिल है। उनका मुख्य उद्देश्य गरीब मजलूम एवं बेसहाराओं को इन्साफ दिलाना हैं। सिद्धार्थ को कई सूचना आयुक्त एवं जज आरटीआई का राम जेठमलानी भी कहते हैं।

रिपोर्टर सिद्धार्थ त्रिवेदी रायबरेली