मृतक आश्रित कर्मचारी संघ की लड़ाई अंतिम चरण मेंः चन्द्र प्रकाश

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) जौनपुर। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक मृतक आश्रित शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष चन्द्र प्रकाश सिंह ने प्रेस को जारी बयान के माध्यम से बताया कि संघ सन् 2014 से अपनी लड़ाई सहित 5 लाख शिक्षकों की लड़ाई का सफर शुरू किया था। यह लड़ाई थी योग्यतानुसार पद की। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में किसी भी शिक्षक की मृत्यु हो जाने पर उसके आश्रितों को योग्यता नुसार अध्यापक पद पर नियुक्ति मिलती थी। उससे कम पढ़े-लिखे लोग अनुचर के पद पर नियुक्त होते थे। 1997 के बाद अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए स्नातक होना जरूरी था। 26 जुलाई 2011 को प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हुआ और मृतक आश्रितों की योग्यता स्नातक बीटीसी टीटीई कर दी गई। अधिकांश मृतक आश्रित जो वर्तमान में स्नातक, परास्नातक, एमबीए, बीसीए, एलएलबी, पीएचडी, पीजीडीसीए, सीसीसी इत्यादि करने के बाद विभाग द्वारा उन्हें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बना दिया गया। 16 सितंबर 2019 को शिक्षा निदेशक बेसिक ने एक पत्र जारी करते हुये कहा कि उच्च योग्यता धारी और कंप्यूटर का ज्ञान रखने वाले 3 योग्य कार्मिकों को ब्लाक संसाधन केंद्र पर संबंध कर लिया जाए जो लिपिकीय कार्य करेंगे। प्रदेश के 880 ब्लाक संसाधन केंन्द्रों पर 2640 कार्मिकों को उनकी योग्यता कार्यकुशलता के आधार पर लिपिकीय कार्य लिया जा रहा है। शासन द्वारा 9 सितंबर 2019 को संघ के प्रदेश पदाधिकारियों सहित विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार, विशेष सचिव आनन्द सिंह, संयुक्त सचिव राघवेंद्र सिंह, शिक्षा निदेशक बेसिक सवेंद्र विक्रम बहादुर सिंह, सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज रूबी सिंह द्वारा बैठक करके कार्यवृत्ति जारी कर अमल में लाय गया जिसमें बीटीसी, बीएड, टीईटी उत्तीर्ण करने वालों को अध्यापक बना दिया जाय, का शासनादेश जारी कर दिया गया। कार्यवृति के आधार पर नवनियुक्त मृतक आश्रित सहित कार्यरत मृतक आश्रितों को लगभग 20 माह बाद नियुक्ति, पदोन्नति, उच्चीकृत करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है जिसके पूर्ण होने के आसार जून के प्रथम सप्ताह में है।

एडिटर अभिषेक शुक्ला जौनपुर