डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर माल्यार्पण कर मनाया गया बलिदान दिवस

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) जौनपुर।भारतीय जनता पार्टी जौनपुर के कैम्प कार्यालय पर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर माल्यार्पण कर बलिदान दिवस मनाया गया, उसके उपरान्त एक संगोष्ठी जिला उपाध्यक्ष किरण श्रीवास्तव के अध्यक्षता में सम्पन्न हुईं, उसके उपरांत रोडवेज के पास स्वामी विवेकानंद पार्क में वृक्षारोपण किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में जिला उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंघानिया ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुये कहा कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पर लगा अनुच्छेद-370 का दंश हमेशा के लिए मिट गया और एक विधान, एक निशान और एक प्रधान की व्यवस्था लागू हो गई। मगर जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने करीब सात दशक पहले ही इस सपने को जिया था और उसके लिए कुर्बान भी हो गए थे। उनकी 23 जून 1953 को श्रीनगर की जेल में रहस्यमय हालात में मौत हो गई थी, जम्मू-कश्मीर में परमिट सिस्टम को तोड़ कर लखनपुर में प्रवेश करने के दौरान ही मुखर्जी ने अपने साथ आए युवा अटल बिहारी वाजपेयी से कहा था कि जाओ अटल दुनिया को बताओ कि श्यामा ने परमिट सिस्टम को तोड़ दिया है। मुखर्जी को लखनपुर में प्रवेश करते ही शेख अब्दुल्ला सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था, उनका संदेश देश तक पहुंचाने के लिए अटल जी नमक से भरे ट्रक में छिपकर जम्मू से भद्रवाह पहुंचे थे। वहां से हिमाचल के रास्ते होते हुए लौटे थे, श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान से जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रवादी ताकतों की मुहिम को बल मिला था कुछ समय बाद शेख अब्दुल्ला को भी गिरफ्तार कर लिया गया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान के कुछ समय बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर में परमिट सिस्टम को खत्म कर दिया। अब भाजपा ने श्यामा के पद चिह्नों पर चलते हुए जम्मू कश्मीर की सभी समस्याओं की जड़ अनुच्छेद 370 को ही तोड़ दिया। जिला उपाध्यक्ष अमित श्रीवास्तव ने कहा कि महाराजा हरि सिंह के जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के बावजूद नेहरू और शेख अब्दुल्ला के समझौते के तहत अनुच्छेद-370 पूर्ण विलय में बाधा बन गया था, यहां तक कि राज्य में प्रवेश के लिए भी परमिट लेना पड़ता था। देश में जम्मू-कश्मीर के संपूर्ण विलय कि मांग को लेकर वर्ष 1953 के आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर में लागू परमिट सिस्टम तोड़ने के लिए आए थे पुलिस ने जम्मू-कश्मीर के प्रवेश द्वार लखनपुर में ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया उन्हें कश्मीर में 44 दिन जेल में रखा गया, जहां 23 जून, 1953 को रहस्यमय हालात में उनकी मौत हो गई, जम्मू-कश्मीर में 67 साल पहले हुए आंदोलन जो जम्मू कश्मीर को लेकर श्यामा प्रसाद द्वारा देखा गया सपना पूरी तरह से साकार हो गया जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रवादी लोगों की जीत हुई है। पाकिस्तान की शह पर हालात बिगाड़ने वाले देश विरोधी तत्वों व उसकी भाषा बोलने वालों को अब हिसाब देना पड़ रहा है। अंत मे अध्यक्षीय भाषण देते हुये श्रीमती किरण श्रीवास्तव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खात्मे की नींव उसी दिन पड़ गई थी जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लखनपुर में गिरफ्तार किया गया था। जब उन्हें गिरफ्तार कर लाया गया था तो उन्हें एक दिन के लिए जम्मू कश्मीर के अंतिम प्रधानमंत्री और पहले मुख्यमंत्री जी एम सादिक के घर में रखा गया था, उसके बाद उन्हें श्रीनगर के निशात इलाके में एक कोठी में रखा गया था, उनके निधन के बाद ही सन 1959 में यहा परमिट सिस्टम खत्म हुआ था। कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री पीयूष गुप्ता ने किया, उक्त अवसर पर जिला मंत्री रविन्द्र सिंह राजू दादा, अभय राय, संदीप सरोज, मीडिया प्रभारी आमोद सिंह, जिला मॉनिटरिंग प्रमुख संजीव शर्मा, अनिल गुप्ता, विनीत शुक्ला, जिला संयोजक आई टी रोहन सिंह, इन्द्रसेन सिंह, प्रमोद प्रजापति, जिला अध्यक्ष युवा मोर्चा दिव्यांशु सिंह, जिला महामंत्री द्वय विकास ओझा, अजय यादव, हर्ष मोदनवाल, प्रशान्त उपाध्याय, विवेक सिंह, पंकज सिंह शुभम मौर्या, अकील आदि उपस्थित रहें।

एडिटर अभिषेक शुक्ला जौनपुर