उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) जौनपुर ( सिरकोनी) कहते है पत्रकार रोज अपनी कलम के साथ सबसे बड़े जंग पर निकलता है ,यह जंग ना सिर्फ सच्चाई की होती है बल्कि यह जंग होती है आलोचनाओं का , मुद्दों का , अस्तित्व का और जनता के आवाज की । आज ऐसे ही एक जंग में कूद रही मेरी कलम जिसमें मुद्दा गोवंश की दुर्दशा का है । सूबे के मुख्यमंत्री और सबसे बड़े गोवंश संरक्षक योगी आदित्यनाथ जी भी शायद इस बात से अनभिज्ञ हो कि उनके शासन सम्हालते ही उन्ही के दिए गए निर्देशों की खिल्ली उड़ा रहे । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी सम्हालते ही योगी जी ने कहा था कि प्रदेश के गोवंश की सुरक्षा और उनके देखभाल की प्रबन्धन की जाय ।
जौनपुर में समाज के धर्म के ठेकेदार तो धर्म के नाम पर बहुत बात करते है लेकिन हक़ीक़त में कुछ और देखने को मिल रहा है । हम बात कर रहे हैं गायों और गौवंशों के रहने और खाने की व्यवस्था की । वर्तमान सरकार भी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में गौ आश्रय स्थल स्थापित करवाने को लेकर निर्देश जारी कर चुकी है जबकि सारा खेल कागजों पर हुआ । जहां पर गायों के लिए रहने और खाने की समुचित व्यवस्था का प्रावधान होना चाहिए वहां केवल खानापूर्ति हुई जिससे गौआश्रय स्थल ही गायों के लिए मृत्यु स्थल साबित हो रही है और ऐसे गौआश्रय स्थल लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ गये हैं। अपनी हालात पर आंसू बहा रही उत्तर प्रदेश की निर्दोष गायें,जिम्मेदारों को इससे कोई लेना देना नही है केवल मिलीभगत करके कागजी खानापूर्ति करते हुए सरकार को फर्जी आंकडा भेजना आदत सी बन गई है। एक ऐसा ही मामला सिरकोनी ब्लाक के समोपुर खुर्द गांव में स्थित गौआश्रय स्थल में दिखा, जहां पर गायें अपनी हालत पर आंसू बहा रही हैं और तड़प – तड़प कर मरने पर विवश हैं , जो जिले के जिम्मेदारों के लिए कलंक के समान है।
जौनपुर में सिरकोनी ब्लॉक के सपोपुर खुर्द गौआश्रय स्थल का आलम यह है कि गायों के पीने के पानी की सही व्यवस्था नहीं है । चोटिल या कमजोर गायों को देखने वाला कोई नही है। केवल गायों को भूषा डाल दिया जाता है । पानी तक सही से नहीं दिया जाता है । जिन गायों को चोट लगी है उन्हें कौएं आकर बडे ही चाव से खोदते हैं और विवश गायें केवल अपने पूंछ से उडाने का प्रयास करती है। दूसरी बात यह कि जब कोई गाय मर जाती है तो उसके शव को वहीं छोड़ दिया जाता है , हालांकि कई लोगों ने इस आश्रय स्थल में गायों की स्थिति को लेकर नाराजगी जाहिर की। गौआश्रय स्थल के एकदम पास रहने वाले ने बताया कि कभी कभी तो गायों के मर जाने पर कई दिन तक नही हटाया जाता और दुर्गन्ध से काफी परेशानी होती है । इस गौशाला में सूत्रों से एक ऐसी करतूत की बात सामने आई जो मानवता को शर्मसार करने वाली है। लेकिन जिम्मेदार केवल मौन बनकर कागजी खानापूर्ति में मसगूल है। गायें बेमौत मर रही हैं। जिले में यह तो केवल एक गौ आश्रय स्थल का हाल नहीं है बाकी गौआश्रय स्थलों में भी लापरवाही का आलम देखने को मिलता है। लेकिन जिम्मेदार लोग केवल सरकार की आंखों में धूल झोक कर मनमानी और लापरवाही करने से बाज नही आ रहे हैं।
जब समोपुर खुर्द के गौशाला की शिकायत खंड विकास अधिकारी को की जाती है तों कार्रवाई करने की बजाय उल्टा ही पत्रकार के ऊपर ही भड़क उन्हे हिदायत देने लगते हैं । उच्च अधिकारी से शिकायत करने पर जांच में गए कबुलपुर गौशाला में खंड विकास अधिकारी जांच के नाम सिर्फ खानापूर्ति कर ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी कुछ तथाकथित पत्रकार से मिलकर कारवाई और सही रिपोर्ट देने की बजाय स्थानीय पत्रकार के खिलाफ ही साजिश रच रहे हैं , ग़लत आरोप लगा रहे है । सच्चाई लिखना पत्रकार के लिए दूभर है उसे जान का खतरा है अपने यहां के उच्च अधिकारीयों से ही । अब देखना है उक्त ग्राम के अधिकारी कार्रवाई करते हैं या फिर अपने अधिकारियों को बचाने में लगते हैं ।
एडिटर अभिषेक शुक्ला जौनपुर
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