उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय(दैनिक कर्मभूमि)चित्रकूट जिला के भरतकूप क्षेत्र के आर्यावर्त बैंक में इस समय दलालों का बोलबाला होने की वजह से किसानों का जमकर केसीसी के नाम पर शोषण हो रहा है यहां तक कि सूत्रों की माने तो घुरेटनपुर आर्यावर्त बैंक भी किसानों का शोषण करने में भरतकूप क्षेत्रीय आर्यावर्त बैंक से कम नहीं है दोनों आर्यावर्त बैंक ग्रामीण क्षेत्रों से लगे हुए बैंक हैं जहां अपनी खेती संबंधित व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए किसानों के द्वारा केसीसी भरवा कर बैंक से ऋण लेते हैं ताकि समय पर किसानों को केसीसी से ऋण उपलब्ध हो सके और किसान अपनी खेती के समय जरूरत पड़ने वाली आवश्यकताओं की पूर्ति समय से कर सके लेकिन भरतकूप व घुरेटनपुर आर्यावर्त बैंक में दलालों की वजह से या यूं कहें कि दलाल और बैंक अधिकारियों की सांठगांठ होने की वजह से किसानों के लिए केसीसी बनवाना लोहे के चना खाने के बराबर किसानों को महसूस होता है क्योंकि किसान यदि बिना दलाल के केसीसी बनवाने का प्रयास भी करते हैं तो केसीसी बनवाने में लगने वाले डाक्यूमेंट्स को अधूरा बता कर किसानों को तब तक बैंकों में घुमाया जाता है जब तक किसान किसी दलाल के माध्यम से 10 परसेंट का कमीशन केसीसी बनने पर देने के लिए तैयार नहीं हो जाता। आप यहां से अंदाजा लगा सकते हैं की भाजपा सरकार जहां किसानों की आय दोगुनी करने के लिए दावे कर रही है वही जमीनी स्तर पर अपने अधिकारों को पाने के लिए किसानों का जिम्मेदारों की वजह से कितना शोषण हो रहा है मीडिया में कई किसानों ने अपना नाम छुपाते हुए नाम ना छापने की शर्त पर यह बात कही की यदि हमारे द्वारा केसीसी बनाने के दौरान कमीशन नहीं दिया जाता तो कई माह गुजरने के बाद भी बैंक में किसानों को केसीसी के माध्यम से कर्ज नहीं मिल पा रहा है और कमीशन 10 परसेंट जमा करते ही डाक्यूमेंट्स में अधूरी कमियां तुरंत सही हो जाती है और फिर किसानों को केसीसी आसानी से उपलब्ध करा दिया जाता है यहां तक कि किसानों का कहना है कि खाता रिनुअल कराने में भी किसानों को दलाल के माध्यम से बैंक के अधिकारियों तक कमीशन पहुंचाना पड़ता है नहीं तो किसानों के केसीसी खाते रिनुअल नहीं हो पाते और किसान दर-दर भटकता रहता है और इसके बाद किसानों को फिर चक्रवृद्धि ब्याज पर बैंक का ऋण चुकाना पड़ता है जिससे किसानों की आय दोगुनी तो नहीं हो पाती परंतु किसान कर्जदार जरूर हो जाता है और धीरे-धीरे किसान इतना कर्जदार हो जाता है कि आत्महत्या करने के लिए विवश हो जाता है जबकि आपको बता दें कि आर्यावर्त बैंक के द्वारा अपने उपभोक्ताओं को बेहतर व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए बैंकों में कार्यरत कर्मचारी अधिकारियों को समय-समय पर सख्त निर्देश दिया जाता है लेकिन इन आदेशों का संबंधित बैंकों में कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि यहां केसीसी के नाम पर किसानों को खुलेआम लूटने का खेल चल रहा है वही अब क्षेत्रीय किसानों की जिलाधिकारी से मांग है कि केसीसी में पारदर्शिता लाना आवश्यक है और कुछ ऐसे नियम बनाने की आवश्यकता है कि किसान आसानी से बैंकों में केसीसी पर ऋण ले सके और अपने खाता रिन्यूअल कराने का केसीसी बनवाने के लिए बिना किसी दलाल के अपना कार्य करा सके।
रिपोर्ट- पंकज सिंह राणा जनपद चित्रकूट
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