उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय(दैनिक कर्मभूमि)चित्रकूट।जनपद के किसानों को दलहन व तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए मऊ तहसील के दस चयनित प्रगतिशील किसानों को निःशुल्क मिनीकिट वितरण जिलाधिकारी शुभ्रान्त कुमार शुक्ल द्वारा संपूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर किया गया। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्नतशील प्रजातियों की खेती पर जोर दिया जा रहा है आप लोग कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ उठाएं और अपनी आय को दोगुनी करें। मिनीकिट वितरण में मसूर की के. एल. 4717 व अलसी की उमा प्रजाति का वितरण किया। जिला कृषि अधिकारी आरपी शुक्ला ने किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती की क्रियाएँ करने के लिए भी कहा। जिले में धान-गेहूँ फसल के बढ़ते क्षेत्रफल के कारण दलहनी व तिलहनी फसलों का क्षेत्र कम होता जा रहा है। अतः किसानों को जिले में अपनी पारंपरिक फसलों में सम्मिलित दलहन व तिलहन को बचाए रखने की ज़रूरत है ताकि परिवार की गुणवत्तायुक्त प्रोटीन व वसा की आवश्यकता पूरी हो सके। बाजार में उपलब्ध प्रोटीन व वसा के स्रोत उतनी अच्छी गुणवत्ता के नहीं होते जितने स्वयं द्वारा उपजाए गए दाल व तिलहनी फसलें हैं। अतः किसानों को दालों व तिलहनी फसलों को उपजाना उनके लिए लाभकारी है। इसी के लिए ये निःशुल्क बीज दिए जा रहे हैं ताकि अन्य किसान भी प्रेरित हो फसल अवशेष को सड़ाने को दिया वेस्ट डिकम्पोज़र : धान की कटाई के बाद बचे पुवाल या अवशेष को सड़ाकर खाद बनाने के लिए 10 किसानों को वेस्ट डिकम्पोज़र दिया गया। सभी धान कृषकों का आह्वान करते हुए कहा कि फसल अवशेष जलाने के बजाय उनको खेत में मिलाकर खाद बनाना चाहिए। वेस्ट डिकॉम्पोज़र से फसल अवशेष को सड़ाकर खाद तैयार करें और खेत में उपयोग करें ताकि मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़े और मित्र जीव बचे रहें। किसी भी दशा में पराली को खेत में न जलाएं। इससे जहाँ पर्यावरण प्रदूषित होता है वहीं मिट्टी भी बंजर हो जाती है। इसके अलावा पराली जलाने पर दंडात्मक कार्यवाही भी की जाती है। अतः पराली जलाने की बजाय खेत में ही प्रबंधन करके उनका सदुपयोग करना चाहिए।
*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
*जनपद* चित्रकूट
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