*कोविड टीकाकरण अभियान में वित्तविहीन विद्यालय नही कर रहे अपेक्षित सहयोग*

राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि अंबेडकर नगर

अंबेडकरनगर कोविड जैसी वैश्विक महामारी विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी भारत के लिए जहाँ सर्वजनसामान्य के लिए मुफ्त टीकाकरण किसी वरदान से कम नहीं है वहीं 15 से 18 वय वर्ष के विद्यार्थियों के वैक्सीनेशन कार्यक्रम में प्रशासन तथा शिक्षाविभाग की सतत मुस्तैदी व कड़ी निगरानी के बावजूद वित्तविहीन विद्यालयों के प्रबंधन द्वारा आशा के अनुसार पर्याप्त रुचि न दर्शाया जाना जहाँ समाज के लिए दुखद तो शासन व प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है।अतः समग्र समाज की बेहतरी हेतु वित्तविहीन विद्यालयों,मदरसों व संस्कृत पाठशालाओं को भी आगे आना ही होगा अन्यथा शिक्षण-अधिगम के लिए आनेवाला समय और भी त्रासद होगा।

यह सर्वविदित है कि जनवरी 2022 से उत्तर प्रदेश के सभी 15 से 18 वयवर्ष के विद्यार्थियों का अनिवार्य टीका करण कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन के सौजन्य से चलाया जा रहा है।जिसमें सहायताप्राप्त और राजकीय विद्यालयों की भूमिका काबिलेगौर औरकि संतोषजनक होने के बावजूद प्रशासन अपने लक्ष्यों में पिछड़ता जा रहा है,जोकि दुखद व चिंतनीय है।
किशोरों के टीकाकरण में अपेक्षित सफलता न मिलने की मूल वजह विद्यालयों की बंदी और वित्तविहीन विद्यालयों ,मदरसों तथा संस्कृत पाठशालाओं के प्रबंधन तथा प्रधानाचार्यों की सतत उदासीनता है।वित्तविहीन विद्यालय भले ही अच्छे शिक्षण-अधिगम का दावा करते हों किन्तु यह बात किसी से छिपी नहीं है कि ये हमेशा सौदा फायदे का करना पसंद करते हैं।यही कारण है कि इन विद्यालयों में कुछेक को छोड़कर ज्यादातर टीकाकरण अभियान में सिर्फ खानापूर्ति करते हुए दिख रहे हैं।ध्यातव्य है कि अम्बेडकर नगर में स्वयम जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी द्वारा भौतिक जांच में विगत दो दिनों में दो वित्त विहीन विद्यालयों के खिलाफ की गई कार्यवाई इसका ज्वलंत उदाहरण है कि वित्तविहीन विद्यालय अपेक्षित सहयोग नहीं कर रहे हैं।मंगलवार को जिले के श्रीराम आदर्श इंटर कॉलेज,मरैला में कोविड टीकाकरण हेतु गयी स्वास्थ्य विभाग की टीम को विद्यालय बन्द मिलना यह दर्शाता है कि घाघ किस्म के प्रबंधन प्रशासन को धता बताकर सभी विद्यालयों की किरकिरी करवाने पर आमादा है।यही कारण है कि अब जिला विद्यालय निरीक्षक को प्रति केंद्र एक एक राजकीय शिक्षक की अनिवार्य ड्यूटी भी लगाई जा रही है जबकि राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालयों में वैक्सीनेशन के दौरान ऐसी कोई भी असहज स्थिति नहीं देखी गयी थी।अतः कहना गलत नहीं होगा कि कुछ वित्तविहीन विद्यालयों की गैरजिम्मेदाराना करतूतों का फल जहाँ बच्चे भुगत रहे हैं तो वहीं शासन-प्रशासन भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रहा है।
कोविड टीकाकरण में अपेक्षित लक्ष्य की प्राप्ति न होना कहीं न कहीं प्रशासनिक अदूरदर्शिता जा भी परिणाम है।प्रशासन व शिक्षा विभाग रात 12 बजे तक सोशल मीडिया पर आदेश निर्गत करते हुए तत्काल सूचनाएं मांगता है,जोकि पूर्णतया अव्यवहारिक होता है।विद्यालय ऐसे आदेशों के क्रियान्वयन में जहाँ असमर्थ होते हैं वहीं उल्टी पुलटी सूचनाओं के प्रेषण से आंकड़ों में व्यापक गड़बड़झाला होता रहता है।अतः प्रशासन को कमसेकम दो दिन पूर्व वैक्सीनेशन केंद्रों की सूची जारी करते हुए सभी प्रबंध करने चाहिए।इसीतरह नित्य नए नए प्रारूप पर एक ही सूचना वांछित होने से भी विद्यालयों की श्रमशक्ति जाया होती है।जिससे टीकाकरण प्रभावित होता है।
वित्तविहीन विद्यालयों की ही तरह संस्कृत विद्यालय तथा मदरसे भी टीकाकरण की राह में किसी चुनौती से कम नहीं हैं।मदरसों में जहाँ बच्चों को उत्साहित करने जे बजाय कुछलोग नकारात्मक भावनाओं से भड़काते है तो वहीं संस्कृत विद्यालयों के बच्चे ढूंढने पर भी कम ही मिलते हैं।स्थिति कमोवेश दोनों ही जगह एक जैसी होने से टीका करण अपने निर्धारित लक्ष्य से कोसों दूर है।
कोविड महामारी से बचाव हेतु जागरूकता, सजगता और व्यक्तिगत सावधानी के साथ ही साथ टीकाकरण ही मुख्य सहायक हैं किंतु अभिभावकों की लापरवाही, विद्यार्थियों द्वारा गलत मोबाइल नम्बर विद्यालयों में दर्ज कराना तथा मदरसों,संस्कृत विद्यालयों व वित्तविहीनो स्कूलों में प्रबंधन की मनमानी इसकी राह की मुख्य बाधाएं हैं।जिनमें सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालय व राजकीय पीसे जा रहे हैं।दिलचस्प बात तो यह है कि जिला विद्यालय निरीक्षक आनन फानन में शिक्षकों को विद्यालयों में उपस्थिति दर्ज कराने का जो हुक्म जारी कर रहे हैं,उनमें शिक्षकों को विद्यालयों का अन्य कार्य करने का निर्देश दिए जाने से ऑनलाइन शिक्षण भी धड़ाम है।
अतः सारसंक्षेप में इतना कहना पर्याप्त है कि जिन विद्यालयों में लापरवाही दिखे वहाँ के प्रबंधन व प्रधानाचार्य के विरुद्ध महामारी अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा पंजीकृत करते हुए मान्यता प्रत्याहरण की कार्यवाही अत्यंत आवश्यक है।आखिर बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ भी किसी भयानक अपराध से कमतर तो नहीं है।

रिपोर्ट- विमलेश विश्वकर्मा ब्यूरो चीफ अंबेडकरनगर