*204 तदर्थ शिक्षकों की नौकरी पर संकट लगे बादल मंडराने*

राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि अंबेडकरनगर

जिले के 60 माध्यमिक विद्यालयों में तैनात 204 तदर्थ शिक्षकों की नौकरी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। शासन के निर्देश के बाद इन शिक्षकों के मई से वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई है। इस निर्णय से तदर्थ शिक्षकों व उनके परिवारीजनों में भविष्य को लेकर चिंता व्याप्त हो गई है। संबंधित शिक्षकों का कहना है कि इस निर्णय पर फिर से पुनर्विचार करने की जरूरत है।शासन के एक निर्देश ने जिले के विभिन्न माध्यमिक विद्यालयों में जनवरी 2000 के बाद से तैनात तदर्थ शिक्षकों की मुश्किलेें बढ़ा दी हैं। बीते दिनों शासन की तरफ से माध्यमिक शिक्षा विभाग के सचिव ने ऐसे तदर्थ शिक्षकों के वेतन भुगतान पर मई से रोक लगाने का आदेश दे दिया। तदर्थ शिक्षकों में ऐसे शिक्षक शामिल होते हैं, जिनकी नियुक्ति प्रबंधतंत्र की तरफ से रिक्त पदों के सापेक्ष कर ली जाती है। यह शिक्षक बाद में वेतन भुगतान की मांग को लेकर कोर्ट चले गए थे। कोर्ट की तरफ से अलग-अलग वर्षों में किए गए आदेश के बाद विभाग ने वेतन भुगतान का आदेश जारी किया। इसके बाद शिक्षकों को कोषागार के जरिए बाकायदा वेतन भुगतान मिलने लगा।जिले में इस तरह के शिक्षकों की संख्या 204 है। कुल 60 विद्यालयों में तैनात इन शिक्षकों को बाकायदा प्रत्येक माह वेतन का भुगतान होता आ रहा है। बीते दिनों ही तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित प्रकरण को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद से ही इन शिक्षकों के स्थायी होने की उम्मीदें धूमिल पड़ने लगी थीं। अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ल ने गत दिवस एक मीटिंग में डीआईओएस से कहा था कि ऐसे तदर्थ शिक्षकों का वेतन मई से अपने स्तर से निर्णय लेकर रोक दिया जाए।
बिना वेतन के भी काम कर रहे शिक्षक
जिले के माध्यमिक विद्यालयों में ऐसे शिक्षकों की भी कमी नहीं है, जो अभी तक बिना वेतन के काम कर रहे हैं। 204 शिक्षकों को तो कोर्ट के आदेश पर वेतन मिलने लगा है, लेकिन 30 तदर्थ शिक्षक ऐसे हैं, जो स्कूल में योगदान देने के बाद भी वेतन नहीं पा रहे हैं। यह सभी शिक्षक अपने वेतन के लिए संघर्षरत थे कि इस बीच शासन के नए निर्णय से उनमें निराशा छा गई है।
तदर्थ शिक्षक बोले, सरकार से सकारात्मक निर्णय की उम्मीद
तदर्थ शिक्षकों का कहना है कि सरकार तक बात पहुंचाई गई है। वे सब लगभग दो दशक से स्कूलों में अपना योगदान दे रहे हैं। ज्यादातर शिक्षक ऐसे हैं, जो 15 से 20 वर्ष से भी अधिक समय से पढ़ा रहे हैं। इतने लंबे योगदान के बाद अब इस तरह का निर्णय अव्यवहारिक है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार तक बात पहुंचाई गई है। उनकी बात सुनी जाएगी। जल्द ही सकारात्मक निर्णय होने की उम्मीद है। तदर्थ शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष दिलीप सिंह ने कहा कि शासन से सकारात्मक बात हुई है। शिक्षक हित में बेहतर नतीजे सामने आएंगे।शासन के आदेश का होगा पालन
डीआईओएस प्रवीण कुमार मिश्र ने कहा कि तदर्थ शिक्षकों को लेकर जो भी आदेश सरकार की तरफ से होगा, उसका पालन कराया जाएगा। जो भी आदेश होंगे, उसके अनुरूप ही निर्णय होगा। फिलहाल वेतन रोकने का कोई आदेश मेरे पास नहीं आया है।

रिपोर्ट अरविंद कुमार राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि टांडा अंबेडकर नगर