उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) जौनपुर (करंजाकला)सरायख्वाजा में भादों छठ का ऐतिहासिक किसान मेले में क्षेत्रीय लोगों की भारी भीड़ रही। दो दिवसीय किसान मेले में कानपुर, बाराबंकी, उन्नाव आदि जिले के व्यापारी अपनी दुकान लगाने के लिए पहुंचे हैं। मेला अब सड़कों पर लग रहा है। सिद्दीकपुर से आईटीआई, पूर्वांचल, सरायख्वाजा, कोइरीडीहा तक फैला हुआ है।
मेले की मान्यता है कि पोखरे में स्नान करने से चर्म रोग से मुक्ती मिल जाती है। मेला सैकड़ों वर्षो से भादव के शुक्ल पक्ष के छठवें दिन लगता है। मेले में लोग अपनी मन्नत मानते है। दर्शन पूजन कड़ही चढ़ाकर पोखरे में स्नान करते हैं। मेले में सुबह ही लोगों का आना जाना शुरू हो जाता है। यह मेला पूरे दिन चलता है।सुबह के समय पोखरे पर शंकर जी का मन्दिर है। महिलाए कड़ही चढ़ाकर मन्नत मांगती है। किसानों के लिए गृहस्ती के समान काफ़ी संख्या में आते है। लोहे से बने टीकुरी, पहसुल, चिमटा, खुर्पी, हसीआ आदि सामान मिलती है। लकड़ी से बनी खटिया पलंग, तख्ता, मेज, कुर्सी, स्टूल, बांस से बनी खचीया, दौरी, चंगेरी, आदि सामान मिलती है।मेले में बच्चों के लिये विभन्न प्रकार के झूला भी लगाए गये हैं।चोटहीया जलेबी खाने के लिए भीड़ लगी रही। मेले में पुलिस प्रशासन चक्त्रस्मण करती रही। बड़े वाहनो को पूर्वांचल विश्वविद्यालय से करंजाकला होते हुये मल्हनी के रास्ते खुटहन की तरफ मोड़ दिया दिया। उधर कोईरीडीहा बाजार से मल्हनी बाजार होते हुये शिकारपुर से कुत्तपुर चौराहे होते हुए जौनपुर शहर में प्रवेश करा दिया गया। करंजाकला पुराने जमाने में हाथी, घोड़ा और बैल की खरीददारी होती थी। धीरे-धीरे जमीन के अभाव में व्यापारियों का आना जाना बन्द हो गया।
एडिटर अभिषेक शुक्ला जौनपुर
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