अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है रावण वध: जिलाध्यक्ष योगेन्द्र कुमार सिंह

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) कानपुर।विजयदशमी का पर्व हमें यह संदेश देता है कि अन्याय और अधर्म का विनाश तो हर हाल में सुनिश्चित है। फिर चाहे आप दुनियाभर की शक्तियों और प्राप्तियों से संपन्न ही क्यों न हो,अगर आपका आचरण सामाजिक गरिमा या किसी भी व्यक्ति विशेष के प्रति गलत होता है तो आपका विनाश भी तय है।योगेन्द्र कुमार सिंह जिलाध्यक्ष उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ कानपुर कहा कि दशहरा यानी न्याय, नैतिकता,सत्यता,शक्ति और विजय का पर्व है लेकिन आज हम इन सभी बातों को भूलकर अपने त्योहारों को सिर्फ़ मनोरंजन के लिए सीमित रखते हैं।हर युग में अन्याय, अहंकार,अत्याचार,असमानता,छुआछूत और आतंकवाद जैसे कलंक रूपी असुर रहे हैं।इसका हमारा इतिहास गवाह है.त्रेता युग में रावण,मेघनाथ,ताड़का आदि द्वापर युग में कंस,पूतना,दुर्योधन,शकुनी आदि और आज के इस कलियुग में क्षेत्रवाद, जातिवाद,आंतक,भय,अन्याय,शोषण और अलवाद जैसे असुर समाज में पनपते जा रहे हैं।जिलाध्यक्ष ने कहा कि त्रेतायुग में श्री राम को और द्वापरयुग में श्री कृष्ण को अच्छाई का प्रतीक माना गया है क्योंकि भगवान राम ने मानव रूप में मर्यादा का आचरण तथा भगवान कृष्ण ने बालरुप में अपनी इच्छा शक्ति के बल पर अधर्म पर धर्म कि विजय प्राप्त की थी।दशहरे पर सनातनी हिन्दू समाज रावण का पुतला दहन भगवान श्री राम के जयकारे से साथ अंत करते हैं। दशहरे के इस पावन पर्व पर हम सब यह सोचने के लिए बाध्य हो कि देश और समाज कि प्रगति के लिए हम अपनी सभी बुराइयों को भी रावण के पुतले के साथ सदा-सदा के लिए जला देंगे और समाज व देश कि उन्नति के लिए कार्य करेंगे, तभी हमारी सही मायने में रावण पर विजय होगी।हिन्दू रीती-रिवाजों के अनुसार विजयदशमी के दिन शास्त्र पूजन के साथ बच्चे का अक्षरारंभ,नया व्यवसाय का आरंभ नई फसलों के बीज बोना आदि शुरू किये जाते हैं।दशहरा के दिन अलग-अलग हिस्सों में मेले लगते है,रामलीला का आयोजन होता है और रावण, मेघनाद व् कुंभकरण के पुतले जलाए जाते हैं। जबकि दूसरी ओर इस दिन आदि शक्ति मां दुर्गा पूजा का भी आयोजन किया जाता है। माना जाता है भगवान राम ने रावण से युद्ध से पूर्व नदी तट पर बैठकर नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा की थी। तभी से दशहरा से पहले नवरात्रि मनाई जाती है। यह पर्व व्यक्ति को अपने भीतर से दस प्रकार के पाप: काम,क्रोध,लोभ,मोह,मद,मत्सर,अहंकार,आलस्य,हिंसा और चोरी के परित्याग का प्रेरणा देता है।जिलाध्यक्ष योगेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि हमारा देश भारत युवाओं का देश है और युवा ही भारत का भविष्य हैं,अगर युवा पीढ़ी अपनी सोच में बदलाव लाएगी तो समाज में बुराई का असुर रावण पूर्ण रूप से समाप्त हो जायेगा। दशहरे के त्योहार के प्रति आदर,सम्मान व प्यार को रखते हुए,हम अपने जीवन को अच्छा बनाने कि ओर अग्रसर करेंगे। हमें स्वंय को बदलना है किसी ओर को नहीं क्योकि हमारे अंदर आया बदलाव ही हमारे अन्दर का रावण का अंत करना है।इसी उद्देश्य को लेकर भारत में दशहरे का असली महत्व और अर्थ समझा जा सकता है।

 

संवाददाता आकाश चौधरी कानपुर