*मर्ज से मिली मुक्ति, कर्ज से भी बचा*

*एमडीआर रोगी की दास्तां, टीबी रोगियों को दी सलाह*

 

उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट: मऊ ब्लाक का 40 वर्षीय ग्रामीण सोनू (परिवर्तित नाम) पुणे में वाचमैन था। फरवरी 2020 में लगातार बुखार और खांसी की शिकायत पर उसने पुणे में ही जांच कराई तो टीबी निकला। इलाज के लिए पैसा नहीं था तो वापस घर आ गया। रुपए का इंतजाम कर नया गांव छावनी जाकर दवा ली। दवा से दो हफ्ते आराम मिला तो पुणे चला गया। वहां पहुंचते ही लाक डाउन लग गया। पैदल, ट्रक आदि के सहारे किसी तरह अपने जिले वापस आ गया। यातायात बंद होने और धन के अभाव में नया गांव छावनी नहीं जा पाया। तबीयत और खराब होने लगी। तो निजी चिकित्सक आदि में 20 हजार रुपये से अधिक खर्च कर दिया। फिर किसी की सलाह पर वह जिला अस्पताल सोनेपुर पहुंचा। वहां पहले निःशुल्क जांच हुई फिर मुफ्त में दवा मिलने लगी। जांच में पता चला कि टीबी बिगड़कर एमडीआर के रूप में पहुंच चुकी है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मऊ से नियमित दवा लेने की सलाह दी गई। सोनू ने बताया कि उन्होंने जुलाई 2020 में मऊ से दवा लेना शुरू किया। चिकित्सक ने सलाह दी थी कि बीच में बिना बताए दवा बंद न करना। उनकी बात पर अमल करते हुए एकसाल तक नियमित इलाज किया। इलाज के दौरान उन्हें 500 प्रतिमाह मिलते थे। इससे उन्होंने अपना खानपान भी बेहतर रखा। जुलाई 2021 में वह टीबी से मुक्त हो गए। परिवार में पत्नी और दो बच्चे है, जिनका पूरा सहयोग रहा।

यह कहानी सिर्फ सोनू की नहीं है। ऐसे कई मामले हैं जो टीबी ग्रस्त होकर अब स्वस्थ हो रहे हैं। साथ सरकारी आर्थिक मदद भी पा रहे हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ इम्तियाज अहमद ने बताया कि अधूरे इलाज से क्षय रोग गंभीर हो जाता है। एक हफ्ते से अधिक वक्त तक दवा का सेवन बंद करने से टीबी के कीड़े शक्तिशाली हो जाते है। इसे बिगड़ा हुआ टीबी या मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) कहते हैं। एमडीआर रोगी भी हाईपावर की दवा नियमतः लेने से ठीक हो जाते है। ऐसे रोगियों को अधिक समय तक दवा लेनी पड़ती है। जब चिकित्सक कहें तभी टीबी का इलाज बंद करें अन्यथा रोगी एमडीआर हो सकते है। उन्होंने बताया कि सोनू जैसे सैकड़ों मरीज सरकारी इलाज से ठीक हो चुके हैं।

उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ अरुण कुमार पटेल ने बताया कि वर्तमान में जिले में टीबी के कुल 1108 मरीज है। एमडीआर की संख्या 36 है। जिले में कोई एक्स डीआर नहीं है।

–टीबी रोगियों को सलाह—-

सोनू ने कहा कि किसी भी हालत में रोगी नया गांव छावनी इलाज के लिए न जाएं। वहां जाने से मर्ज भी बिगड़ जाता है और आर्थिक हालत भी खराब हो जाती है। सलाह दिया कि टीबी हो जाए तो सरकारी अस्पताल में उपलब्ध उच्च क्वालिटी की निशुल्क दवाएं लें। चिकित्सक की सलाह के बगैर दवा का सेवन बंद न करें। इससे निर्धारित वक्त में टीबी से मुक्त हो जाएंगे।

 

ब्यूरो रिपोर्ट अश्विनी कुमार श्रीवास्तव चित्रकूट