उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट: भगवान प्रभाकर को समर्पित छठ पर्व के तीसरे दिन रविवार को रामघाट के सम्मुख मध्यप्रदेश वाले घाट में परंपरागत तरीके से डूबते सूर्य को पूरी श्रद्धा के साथ बिहारियों ने अर्घ्य दिया गया। स्थानीय लोगों ने भी इस अनुष्ठान में पूरे उत्साह व निष्ठा के साथ सहभागिता की। व्रत एवं उपासना का यह पवित्र पर्व पुत्र एवं पति की लम्बी आयु एवं आरोग्य के लिए किया जाता है। इस अवसर पर ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ जय शंकर मिश्र, सद्गुरु पब्लिक स्कूल के प्राचार्य राकेश तिवारी, ऋषिराज बोरा, चन्दना मिश्रा, यतीन्द्र कुमार उपाध्याय, अनु तिवारी आदि सहित स्थानीय भक्त लोग उपस्थित रहे।
छठ पूजा के लिए स्थानीय लोगों को प्रेरित करने वाले डॉ जय शंकर मिश्रा ने बताया दीपावली के बाद छठ पर्व मनाया जाता है। 28 अक्तूबर से प्रारंभ छठ पूजा 31 अक्तूबर तक चलेगी। छठ का पर्व चार दिन का होता है, जो कि भारत के सबसे कठिन पर्वों में से एक है। छठ पूजा में 36 घंटे निर्जला व्रत रखा जाता है। सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। यह व्रत परिवार की खुशहाली, बेटे और पति की लंबी आयु और मनोकामनाओं का पूर्ति के लिए किया जाता है। कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को नहाय खाय होता है। अगले दिन खरना और तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पर्व के चैथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद उपवास खोला जाता है। वैसे तो पूरे भारत में छठ के पर्व की धूम होती है लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार में इसका उत्साह देखने को मिलता है। छठ पूजा पुरुष भी करते हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट अश्विनी कुमार श्रीवास्तव चित्रकूट
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