उत्तर प्रदेश,(दैनिक कर्मभूमि) चित्रकूट। वरिष्ठ चिकित्सक डा ऋषि कुमार ने चिकित्सा परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को भेेजे पत्र में विभागीय अधिकारियों द्वारा निरतंर उत्पीडन किए जाने की शिकायत की है। साथ ही न्याय न मिलने पर त्याग पत्र स्वीकार करने की गुहार लगाई है।
परामर्शदाता डा ऋषि कुमार ने बताया कि वह पिछले 14 वर्षाें से विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं पूरी कर्तव्य निष्ठा व लगन से जनपद चित्रकूट में प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बीती 3 जुलाई 2022 को वह आपातकालीन वार्ड में भर्ती एक गम्भीर मरीज को देखने गए थे। इस दौरान वहां पर आउट सोर्सिंग वार्ड आया पहुंची और आपातकालीन ड्यूटी में तैनात डा उमेश को पीएनसी वार्ड में चलकर मरीज देखने को कहने लगी। इस पर उन्होनंे वार्ड आया से बताया कि मुख्य चिकित्सालय अधीक्षक ने पीएनसी वार्ड में अलग से स्त्री रोग विशेषज्ञ को तैनात कर रखा है। इस पर वार्ड आया आक्रोशित हो गई और सभी लोगों के सामने अभद्र भाषा प्रयोग करते हुए गाली-गलौच करने लगी। इसकी सूचना उन्होंने तत्काल मुख्य चिकित्सालय अधीक्षक समेत अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को दी। जिसके बाद टीम गठित कर मामले की जांच कराई गई। जिस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई और न ही उन्हें न्याय मिला। इसके बाद से अब तक वह सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शिवरामपुर में सेवाएं दे रहे हैं, किन्तु उन्हें वेतन नहीं दिया गया। बीती 24 फरवरी को उन्होंने फिर से जिला अस्पताल में कार्य करने के लिए आदेशित किया गया है। उन्होंने बताया कि पूर्व में जिला अस्पताल में ही उन्हें अपमानित किया गया था, किन्तु इस मामले में अब तक उन्हें न्याय नहीं मिला है और न ही वेतन दिया जा रहा है। उन्होंने मुख्य चिकित्सालय अधीक्षक पर द्वेषपूर्ण बर्ताव करते हुए मानसिक व वित्तीय रूप से प्रताडित करने का आरोप लगाते हुए न्याय दिलाने की गुहार लगाई। ऐसा न होने पर उन्होंने त्याग पत्र स्वीकार करने की गुहार भी लगाई है। इस सम्बन्ध में चिकित्सालय अधीक्षक डा सुधीर कुमार शर्मा ने बताया कि आपातकालीन कक्ष में दो लोगों के बीच विवाद हुआ था। जिसकी जांच भी कराई गई थी। डा ऋषि कुमार का वेतन उनके स्तर से नहीं रोका गया है। वह वर्तमान में यहां तैनात भी नहीं है। उन पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद है।
*ब्यूरो रिपोर्ट* अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
जनपद चित्रकूट
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