राजस्व विभाग की सहमति से शासन की आरक्षित भूमि पर भूमाफियाओं ने कर लिया कब्जा

राष्ट्रीय (दैनिक कर्मभूमि) उत्तर प्रदेश। ‌‌चित्रकूट। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार भले ही भू माफिया व खनिज माफिया पर सख्ती से कार्रवाई करने के सख्त निर्देश जारी किए गए है । लेकिन यह आदेश सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह गया है और यही वजह है कि लगातार शासन की आरक्षित भूमि पर भी अब भूमाफियो के द्वारा अवैध रूप से कब्जा करने के साथ-साथ जरूरतमंदों को जमीन बेचकर मोटी रकम कमाने का कार्य किया जा रहा है लेकिन राजस्व विभाग की सहमति से भू माफिया यह बड़ा खेल खेल रहे हैं और यही वजह है कि आज तक भू माफियो पर बड़ी कार्रवाई नहीं हो सकी। जिसकी वजह से भू माफियो के लगातार हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं चित्रकूट धर्म नगरी की जो भगवान श्री राम के वनवास काल की तपोस्थली भूमि मानी जाती है लेकिन तपोस्थली भूमि में भू माफिया इतने सक्रिय हैं कि भू माफियो के द्वारा ऐसी जमीनों पर भी कब्जा किया जा रहा है जो जमीन शासन के द्वारा आरक्षित हैं वर्तमान में भरतकूप कस्बा के अकबरपुर क्षेत्र में लगातार भू माफिया के द्वारा आरक्षित भूमि पर कई सालों से कब्जा किया जा रहा है शिकायत करने के बाद राजस्व विभाग के द्वारा सिर्फ खानापूर्ति कार्रवाई कर भू माफिया के साथ मधुर संबंध निभाई जा रहे हैं यही वजह है कि लगातार भू माफिया शासन की आरक्षित भूमि पर कब्ज़ा कर रहे हैं और राजस्व विभाग कार्रवाई करने से कटरा रहा है।

अकबरपुर निवासी ध्यान सिंह शपथ पत्र में लिखित शिकायत करते हुए जिलाधिकारी चित्रकूट से न्याय की गुहार लगाई है अपने पत्र में उन्होंने कहा कि भू माफिया के द्वारा शासकीय जमीन पर कई जगह अवैध रूप से कब्जा किए गए हैं यहां तक की कई जगह तो ऐसे भू माफियों ने कब्जा किया है जिसमें किसी भी हालत में कब्जा नहीं किया जा सकता और कब्जा करने वालों पर कब्जा मुक्त कार्रवाई करने की सुप्रीम कोर्ट तक ने सख्त निर्देश जारी किए हैं बावजूद इसके मजबूत चढ़ौती चढ़ जाने की वजह से राजस्व विभाग के द्वारा भू माफियो पर ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई जिससे आरक्षित भूमि को कब्जा मुक्त कराया जा सके शिकायतकर्ता ध्यान सिंह ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि यदि सही समय पर जिले के उच्च अधिकारियों के साथ-साथ राजस्व विभाग संबंधित शिकायत पर संज्ञान नहीं लेता तो उनके द्वारा भू माफिया से शासन की आरक्षित भूमि पर कब्जा मुक्त कराने के लिए माननीय हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ेगी और वह अंतिम लड़ाई हाईकोर्ट के माध्यम से लड़ेंगे।

 

ब्यूरो रिपोर्ट अश्वनी श्रीवास्तव

जनपद चित्रकूट