*बसंत पंचमी पर हुआ काव्योत्सव का आयोजन*
राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि अंबेडकरनगर
नगर के प्रख्यात अल्फा कोचिंग सेंटर के प्रांगण में अम्बेडकर नगर साहित्य संगम के बैनर तले बसंत पंचमी के सुअवसर पर सरस्वती पूजा एंव काव्योत्सव का आयोजन युवा कवि संजय सवेरा के संयोजन व तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु के कुशल संचालन में आयोजित किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री प्रमोद कुमार जिला प्रबंधक पीसीएफ अम्बेडकर नगर और अध्यक्षता वाराणसी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सुखमंगल सिंह ने की।कार्यक्रम की की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, दीप प्राज्जवलन एंव पारस वैद्य की वाणी वंदना के साथ हुआ। इसके बाद कवियों ने अपनी- अपनी रचना से शमां बांधना शुरू किया। टांडा के युवा कवि प्रदीप मांझी ने पढ़ा – मिट्टी की जां लेकर नदी के गहर में खड़ा हूं, तेरी ही बनाई दुनिया में तेरे ही सामने अड़ा हूं।युवा कवि अजय उपाध्याय विभोर ने पढ़ा- मैं अपनी उम्र से कितना बड़ा हूं क्या बताऊं, मुझे डर है मैं अपने बाप से पहले ना मर जाऊं। बस्ती से आये कवि समीर तिवारी शांडिल्य ने पढ़ा- राम आसान भले मिल गया भाग से, दो चरण बिन अभागिन रही अयोध्या। सुल्तानपुर के नवांकुर शैलेष मुसाफिर ने पढ़ा- खुदा की ये मेहरबानी जो है मुझमें हुनर इतना, उधर से जब भी गुजरू मैं वो खिड़की खोल देती है। अयोध्या से आए वरिष्ठ गीतकार मनीष मिश्रा ने पढ़ा- पथ नूतन सत्य के संधान को,खोजना है न्याय के सम्मान को। डॉ पारस वैद्य ने पढ़ा- दर्द सारे तेरे झेल जाऊंगा मैं, जिंदगी तुझको जी कर दिखाऊंगा मैं। युवा साहित्यकार संजय सवेरा ने पढ़ा- जब जो कहता हूं वो कर क्यों नहीं जाता, फिर ऐसे दौर में मैं मर क्यों नहीं जाता। अयोध्या से चलकर के आए उस्ताद शायर डॉ रामानंद सागर ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं खूब हंसाया उन्होंने पढ़ा- जो शख्स यहां जोरू का गुलाम नहीं, इतिहास के पन्ने में उसका नाम नहीं। उस्ताद शायर असलम सिकंदरपुरी ने पढ़ा- उड़ गए होश असलम अमीरों के तब, हक में मुफलिस के जब फैसला हो गया। वरिष्ठ कवयित्री डॉ करुणा वर्मा ने पढ़ा- वीरता भरी हो ऐसी कि दुश्मन सिहर जाए, राष्ट्र के लहू में रवानी ऐसी चाहिए। संचालक डॉक्टर डॉ० तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु ने पढ़ा – लक्ष्य अपना प्राप्त करना है नहीं आसान प्यारे , नाग के फन को कुचलना है नहीं आसान प्यारे । लोग कहते प्यार करना है बहुत आसान लेकिन , स्वयं से भी प्यार करना है नहीं आसान प्यारे ।। अयोध्या वरिष्ठ गीतकार चंद्रगुप्त भारती ने अपनी संवेदनात्मक गीतों के माध्यम से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया उन्होंने पढ़ा – जब पेट भूखा हो तो श्रृंगार नहीं लिखते। अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सुखमंगल ने अपनी रचनाओं से लोगों को मुग्ध कर सभी कवियों की सराहना की। मुख्य अतिथि ने कवियों की सराहना करते हुए शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम के अंत में संयोजक संजय सवेरा ने सभी कवियों और अतिथियों का आभार व्यक्त कर बसंत पंचमी की बधाई दी। इस अवसर पर संस्था प्रबंधक घनश्याम वर्मा, डॉ रंजीत वर्मा, डाक्टर शेफाली मित्तल, डाक्टर गौरव गुप्ता, दीपक कुमार, रीमा वर्मा, पूजा मौर्या, विनोद कुमार गंगाराम, और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
रिपोर्ट विमलेश विश्वकर्मा ब्यूरो चीफ अंबेडकर नगर
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