उत्तर प्रदेश ( राष्ट्रीय दैनिक कर्मभूमि) जौनपुर
जौनपुर संसदीय क्षेत्र से सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा , बाबू सिंह कुशवाहा नहीं हैं।उनका पुराना और असली नाम चरण सिंह कुशवाहा है।कुशवाहा पुराने फ्रॉड हैं।चरण से बाबू बनने का सफ़र भी कुशवाहा ने फ्रॉड के रास्ते तय किया।बाबू सिंह उर्फ़ चरण सिंह कुशवाहा ऐसे नेता हैं जिनपर चीटिंग ,फरेब और फ्रॉड के तक़रीबन एक दर्जन मुकदमे हैं।बांदा के रहने वाले बाबू सिंह कुशवाहा बचपन से ही शातिर और फ्रॉड थे।यह हम नहीं यूपी पुलिस कहती है।झांसी ज़िले के नवाबाद थाने में दर्ज दास्तान पर यक़ीन करें तो बाबू सिंह कुशवाहा का असली नाम चरण सिंह कुशवाहा है।कहानी कुछ यूं है कि चरण सिंह 12 वीं की परीक्षा पास नहीं कर सके।शातिर कुशवाहा ने बाबू सिंह के नाम से फ़र्ज़ी मार्कशीट बनवाई और झांसी के बुंदेलखंड महाविद्यालय में स्नातक में एडमिशन लिया।राज़ खुला तो उनपर धारा 420 के तहत मुकदमे दर्ज हो गए।
चरण सिंह कुशवाहा से बाबू सिंह बन चुके कुशवाहा ने इस मुकदमे से सबक लेने की बजाय फ्रॉड को ही अपनी तरक्की का रास्ता बना लिया।वह चीटिंग , झपसटई करते गए और उनपर चार सौ बीसी के एक एक कर के कुल 10 मुकदमे दर्ज हो गए।
उन्होंने जीवन का सबसे बड़ा गुनाह यूपी के करोड़ों लोगों के जीवन से खेल कर किया।राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के हजारों करोड़ घोंट कर चरण उर्फ बाबू सिंह के परिवार का आर्थिक स्वास्थ्य भले ही सुधर गया हो लेकिन इस घपले घोटाले ने यूपी के करोड़ों गरीब गुरबा की सेहत ख़राब कर दी।
एडिटर अभिषेक शुक्ला
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