गर्म हवाए/लू का प्रकोप से पशुओं को बचाये – सीवीओ

उत्तर प्रदेश ( दैनिक कर्मभूमि)जौनपुर

जौनपुर मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डा0 विरेन्द्र सिंह ने सभी पशुपालकों को अवगत कराया है कि इस समय सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश मे गर्म हवाए/लू का प्रकोप व्याप्त है, जिससे तापमान काफी बढ गया है। इस अवस्था मे उचित प्रबंधन से पशुओ को लू से बचाना अति आवश्यक है। गर्म हवाए/लू के प्रभाव से पशु की उत्पादन क्षमता कम हो जाती है, इसके साथ ही उचित देख-रेख एवं प्रबंधन न होने से पशु की बीमारी होने से मृत्यु भी हो सकती है। पशुपालन जीविका का साधन है। अतएव यह आवश्यक है कि गर्म हवाए/लू से बचाव हेतु पशुपालको को चाहिये कि पशुओ को सीधे धूप वाले स्थान मे न रखे। चरायी हेतु प्रातः एवं सायं काल ही भेजे। विशेष तौर पर पूर्वान्ह 10.00 से अपरान्ह 04.00 के बीच सूर्य के ताप से पशुओ को बचाए, उन्हे खुले स्थान/धूप मे न खडा करे। पशुओ को ऊपर से ढके हुए छप्पर, टीन शेड वाले स्थानो मे रखे तथा यह विशेष ध्यान रखे कि रोशनदान, दरवाजो एवं खिडकियो को टाट/बोरे से ढक दे जिससे सीधे हवा का झोंका पशुओ तक न पहुच सके तथा टाट/बोरे पर पानी का छिडकाव करते रहे। पशुओ को छाया मे बांधे और उन्हे पर्याप्त मात्रा मे पानी/तरल पदार्थ पिलाए। पशुओ को खली, दाना, चोकर, नमक एवं गुड के साथ संतुलित आहार दे। धूप मे ज्यादा देर तक रखा पानी पशुओ को न पिलाये बल्कि ताजा व स्वच्छ पानी पिलाये। लू से प्रभावित पशु मे बुखार के लक्षण होते हैं, उसे तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखाकर सलाह ले और परामर्श का पूर्ण रूप से पालन करे। पशुओ को दिन मे एक बार अवश्य नहलाये। घर के बाहर छायादर स्थानो पर कटोरे मे पानी भरकर रख दे, जिससे अन्य पक्षी भी पानी पी सके। तापमान बढने से सिंचाई के अभाव मे चरी के सूखने एवं जहरीली होने की प्रबल सम्भावना रहती है। जहरीली चरी खाने से पशुओ की मृत्यु हो सकती है। अतः सिंचाई के अभाव मे सूखी चरी पशुओ को कदापि न खिलाए। परंतु यदि विषाक्तता की स्थिति दिखाई पडे तो तत्काल पानी पिलाकर जीवन रक्षा का प्रयास करे तत्पश्चात निकटतम पशुचिकित्सक से सम्पर्क करे। पशु चिकित्सालयो पर जीवन रक्षक औषधिया उपलब्ध हैं।
उन्होंने बताया कि गला घोंटू एक जीवाणुजनित रोग है, और इसका प्रभाव जून से अगस्त तक पशुओ को ज्यादा प्रभावित करता है। बीमार पशु के प्रमुख लक्षण हैं- पशु को अचानक तेज बुखार आता है, पशु चारा-पानी छोंड देता है, मुन्ह से लार गिरने लगती है, गले मे सूजन आ जाती है, पशु को संस लेने मे भयंकर तक्लीफ होती है, मुह से घर्र-घर्र की आवाज आने लगती है, जीभ बाहर निकल आती है। यदि समय पर इलाज न हुआ तो पशु की मृत्यु भी हो जाती है। अतः टीकाकरण मानसून आने से पूर्व अवश्य करवा लेना चाहिए। वर्तमान मे इसका टीका प्रत्येक पशु चिक्त्सालय पर उपलब्ध है। इस समय गला घोंटू टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है, पशुपालन विभाग द्वारा घर-घर जाकर निःशुल्क टीकाकरण किया जा रहा है। सभी पशुपालको से अपील है कि टीकाकरण मे सहयोग करे एवं अपने पशुओ को टीका अवश्य लगवाये। टीकाकरण से कोई भी पशु वंचित न रहने पाये। मानसून आने से पूर्व गलाघोंटू बीमारी से बचाव का टीका अपने पशु को अवश्य लगवाये। यह टीका निरूशुल्क लगाया जाता है। किसी भी आपातकालीन स्थिति मे पशुपालन विभाग के कंट्रोल रूम नम्बर-18001805141 अथवा जनपद जौनपुर के नोडल अधिकारी डा0 राजेश कुमार उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी मुख्यालय के मो0 न0 08858314387 पर सम्पर्क करे।