उत्तर प्रदेश ( दैनिक कर्मभूमि) जौनपुर
जौनपुर।विश्व के प्रख्यात न्यूरो सर्जन गरीबों के मसीहा डॉ डी के छाबड़ा जी का पीजीआई लखनऊ उत्तर प्रदेश में निधन, स्वास्थ्य जगत की अपूरणीय क्षति। “मेरा गांव, मेरी जिम्मेदारी” की टीम ने दी श्रद्धांजलि व “मेरा गांव मेरी जिम्मेदारी” के प्रणेता प्रदीप मिश्र ने कहा कि डॉ छाबड़ा सिर्फ मानवता के प्रतिमूर्ति ही नहीं बल्कि चिकित्सा जगत व समाज के लिए साक्षात् ईश्वर के स्वरुप थे।उत्तर प्रदेश में न्यूरो सर्जरी को स्थापित करने वाले और पीजीआई की नींव से जुड़े देश के जाने माने न्यूरो सर्जन डॉ. डी के छाबड़ा (80) ने मंगलवार की सुबह अंतिम सांस ली। वह कई दिन से पीजीआई के क्रिटिकल केयर मेडिसिन (सीसीएम) में भर्ती थे। सिर के छोटे और बड़े हर प्रकार के ट्यूमर का ऑपरेशन कर बहुत से लोगों को नया जीवन देने वाले डॉ. छाबड़ा जिंदगी के अंतिम पड़ाव में वह खुद ट्यूमर की चपेट में आ गए। जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई।
डॉ. छाबड़ा वर्ष 1986 से 2003 तक पीजीआई में रहे। इस दौरान पीजीआई में न्यूरो सर्जरी विभाग स्थापित करने के साथ ही संस्थान के डीन और कई बार कार्यवाहक निदेशक भी रहे। यहां से सेवानिवृत्त होने के बाद निरालानगर स्थित विवेकानंद अस्पताल में सेवाएं दे रहे थे।
28 देश डा छाबड़ा के तकनीक का इस्तेमाल कर रहे
डॉ. डीके छाबड़ा ने दिमाग में भरे द्रव को स्पाइन के जरिए बाहर निकलाने के लिए नई तकनीक इजाद की। दिमाग में लगाने के लिए एक शंट विकसित किया। जिसका नाम छाबड़ा वेंट्रिकुलो परिटोनियल दिया । इस शंट का उपयोग 28 देश के डॉक्टर कर रहे हैं। इसके आलावा डॉ. छाबड़ा के 300 से अधिक शोध पत्र , बुक चैप्टर और पुस्तकें हैं
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