उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) जौनपुर
व्यंग्य –
जाति धर्म का मर्म प्रभो !
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नारद जी ,नारायण नारायण का उच्चारण करते हुए विष्णुलोक में प्रकट होते है , हाथ जोड़ भगवान श्री हरि और माता लक्ष्मी को प्रणाम कर सवाल पर सवाल दागते है , हे ! शेषय्या धारी , हे ! वराह अवतारी , हे लादेन संहारक ! इन्द्र के साथी देवता कह रहे कि विकास दूबे जिंदा होता तो बड़े बड़े राज खोलता, अग्नि देव कह रहे नेता फंसते , कुबेर कह रहे अधिकारियों की नौकरियां जाती , सनकादी कह रहे सरकार पलट जाती । पृथ्वी लोक पर त्राहि त्राहि हो जाता , पवन देव कह रहे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार हिल जाती और तो और यम देव कह रहे अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी के दो टुकड़े हो जाते क्योंकि उनकी पार्टी में रिचा दूबे जैसी आतंक विदुषी सक्रिय महिला सुशोभित थी जो आगे चलकर पार्टी में महिला विंग की समजवादी प्रदेश मंत्री बनती एवं इन्द्र का एरावत हाथी तो यहां तक बोल रहा था कि अगर विकास बच जाता तो बसपा सुप्रीमों मायावती जेल से टिकट देकर उसे पूर्वांचल से चुनाव लड़वाती उत्तर प्रदेश में मंत्री पद का दावेदार बनाती। हे ! दीनानाथ मुझे देश में चुनाव का , लोकतंत्र का , न्यायालय का और तो और जाति धर्म का मर्म यथा शीघ्र समझाइए प्रभो ! कल्याण कीजिए प्रभो !भगवान सत्यनाराण मुस्कराए , बोले हे नारद ! आज तुमने जो प्रश्न किया है उसका उत्तर तो तुम्हे लोकपाल और सूचना का अधिकार से मिल सकता था पर ये नेता बड़े धूर्त है , किन्तु मै आज तुमको जाति धर्म का मर्म समझा रहा ध्यान से सुनो !
शंख चक्र आदि बगल में रख , अख़बार पढ़ रहा था सुबह सुबह शेषनाग पर बैठ कर , तभी मेरी नजर उत्तर प्रदेश के प्रभावी नेता नंद गोपाल नंदी के जन्मदिन के आयोजन के उस विशेष एड पर पड़ी, जिसपर सभी वैश्य समाज के लोगो ने बड़ी सी एडवरटाइजमेंट दे कर उनका महिमा मंडन किया हुआ था , इससे पहले सम्पूर्ण यादव समाज अखिलेश और मुलायम के जन्मदिन पर ऐसा करता रहा है । हे नारद ! ये वैश्य समाज , ये यादव समाज कभी किसी अब्दुल कलाम या युगपुरुष अटल बिहारी वाजपेई जी का जन्मदिन क्यो ऐसे नहीं मनाता ? सोचो नारद ,
नारद ने तत्काल उत्तर दिया और बोले प्रभो नंदी जी वैश्य समाज से है इसलिए ,और मुलायम जी तो सैफई किंग है वहा तो जन्मदिन पर अप्सराएं अर्धनग्न नृत्य भी किया करती थी , नामी गिरामी बदमाशो , और अधिकारियों का जमावड़ा लगता था । विष्णु भगवान बोले , बस यही है जाति धर्म यही से समाज की मूल अवधारणा समाप्त होती है , यही से योग्य उम्मीदवार चुनाव का विधान समाप्त होता है । तभी नारद जी बोले तब तो प्रभु विकास दूबे की मौत पर ब्राह्मणों का उग्र होना जायज़ है क्योंकि योगी जी के शासन काल में विकास दूबे मरा वो सही हुआ किन्तु कई निरीह ब्राह्मणों की हत्याएं हुई जिसपर कोई एनकाउंटर नहीं हुआ , भदेठी में एक सपाई नेता जावेद सिद्दकी ने पूरी बस्ती फूंक दी उसका एनकाउंटर नहीं हुआ और तो और भदोई में एक भाजपा विधायक ने खुलेआम कहा था कि उसने कोतवाल समेत थाना ही फुकवा दिया ,वो भी एनकाउंटर से सुरक्षित है , विश्व बहन मायावती खाकी से जूते साफ करवाती है वो भी बड़ी नेता है ,सुरक्षित है फिर अगर किसी को ब्राह्मणों की उग्रता से आपत्ति है तो फिर मै देवर्षि नारद पुछता हूं कि विकास दुबे से भी बड़े-बड़े अपराधी जैसे सहाबुद्दीन से लेकर अतीक अहमद और मुख्तार से लेकर बृजेश सिंह आदि तक जो जेल में बन्द हैं, उन्होंने अभी तक कितनों का राज खोला है ? इनके चलते कितने नेता, पुलिस वाले जेल गए हैं ? कितनी सरकारें पलटी हैं ? जरा ये भी बताइए , ये सब केवल कहने की बाते हैं । अपराधी जिंदा रहकर सिर्फ और सिर्फ अपराधियों का मनोबल बढ़ाते हैं, जेल में बैठे बैठे रंगदारी का धंधा चलाते है । जिस दिन पुलिस विकास दुबे को पकडने गयी थी ,सी ओ समेत 8 पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे उसी दिन विकास दुबे मारा जाता तो कौन से राज खुलवा लेते। सही हुआ एनकाउन्टर वरना जेल से ही गैंग चलाता बाकियों की तरह । इतना कहकर नारद अंतर्धान हो गए ।
तभी भगवान परशुराम प्रकट होते है और कहते है ,विकास दूबे बदमाश था ,उसके साथ सहानुभूति रखने वाला देशद्रोही है , कुल द्रोही है,ऐसे गैंगस्टर को तो बीच चौराहे पर खुले आम भी मारा जाता तो कोई ये नहीं कहता कि मत मारो पर देश प्रदेश में विद्रोही स्वर तब उभरे है जब आप हजारों की भीड़ से किसी एक जाति विशेष को टारगेट करना शुरू करते है । समझदार को इशारा काफी है । हे नारायण ! आजकल सोशल मीडिया पर भगवान बुद्ध की आत्माएं घूम रही क्योंकि पार्टी एजेंट ब्राह्मणों को संतुष्ट करने में लगे है और बराबर पोस्ट डालकर ये समझा रहे की विकास हत्यारा था उसने छप्पन ब्राह्मणों की भी हत्या की जिसमे सी ओ रैंक के देवेन्द्र मिश्र भी शामिल है । मै सिर्फ इतना जानना और कहना चाह रहा कि इतने इस्लामिक बदमाश है ,अब तक किसी का एनकाउंटर सुना क्या अपने ? वैसे मेरी मानिए तो कानून और न्ययालय की पृथ्वी पर क्या जरूरत , जब त्वरित न्याय मौजूद है तो , ये सवाल सबके जहन में आएगा ! मेरा निजी मत है कि विकास दूबे का एनकाउंटर सही है क्योंकि वो खूंखार था और हत्यारा था किन्तु मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसो की गाड़ियां क्यो नही पलटती ? और प्रभु योगी जी से कहिए कि यथा शीघ्र योग्य युवकों को ढूंढ ढूंढ कर नौकरी दें अन्यथा देश प्रदेश में विकास दूबे बनते रहेंगे । एक करोड़ नौकरियां कागजों पर देने से वोट नहीं मिलने वाला क्योंकि मेरा ब्राह्मण समाज बेरोजगार पड़े योग्य युवकों को लेकर नाराज है ।
____पंकज कुमार मिश्रा 8808113709
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