उत्तर प्रदेश (दैनिक कर्मभूमि) अयोध्या। सरकार द्वारा देश में जल संचयन का संकल्प लिया गया है जिस पर भू जल सप्ताह 16-22 जुलाई 2020 का कार्यक्रम केंद्रित किया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने जल संचयन के लिए इस वर्ष का थीम *” वर्षा जल है जीवन धारा, इसका संचयन संकल्प हमारा”* दिया है। इसके लिए *वर्षा जल* संचयन हेतु अधिक से अधिक लोगों को प्रेरित करने का उद्देश्य है।
*जल* मानव सहित सभी जीवधारियों की महान आवश्यकता है। इसलिए हमें कम से कम *15 प्रतिशत* तक वर्षा जल का संरक्षण किया जाना आवश्यक है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार *सन् 2030 तक* भारत की *40 प्रतिशत* आबादी को पीने का पानी की किल्लत होगी। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस *जागरूकता अभियान* में गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सेवी संस्थाओं एवं सामाजिक संगठनों का भी सहयोग प्राप्त करना आवश्यक समझा है। कृषि विज्ञान केन्द्र, पर्यावरण शिक्षा केन्द्र, जल उपभोक्ता समितियां आदि जैसे संगठनों को कोराना वैश्विक महामारी पर अंकुश को दृष्टिगत इस अभियान से जोड़ा गया है। *भूजल संरक्षण* का संदेश आम जन मानस तक पहुंचाने का प्रयास किया जाना आवश्यक है। इसमें *जल बचाओ, पृथ्वी बचाओ, भू गर्भ जल सप्ताह मनावो* के स्लोगन के द्वारा लोगों तक *संदेश* देना आवश्यक है। यदि लोगों में जागरुकता नहीं आई, तो पीने लायक नहीं बचेगा भू जल। इसके लिए *थ्री लेयर टेक्नीक* के अन्तर्गत खोदे गए गड्ढे में क्रम से कोयला, बालू रेत एवं गिट्टी डालकर घर का सारा वर्षा का पानी नाली के माध्यम से इस गड्ढे तक पहुंचाया जाता है। इससे वर्षा का सारा पानी इस थ्री लेयर के माध्यम से जमीन के अंदर चला जाता है।
*सतह जल संग्रह सिस्टम, छत प्रणाली, बांध बनाकर, भूमिगत टैंक, जल संग्रह जलाशय* आदि तरीकों से हम वर्षा जल संचयन कर सकते हैं जिससे इन संचयित जलों से *घरेलू काम, कल कारखानों को संचालित करने का काम, जहां पानी की किल्लत है वहां गर्मियों में इसका उपयोग, किसान कृषि सिंचाई का काम, इमारतों के बनाने में जल उपयोग, बाढ़ आपदा से बचाव* किया जा सकता है।
देश की सभी सम्मानित जनता आवश्यकता अनुसार जल का उपयोग करें एवं वर्षा जल का अधिक से अधिक मात्रा में संचयन करें। जिससे आने वाली पीढ़ियों को जल समस्या से निजात दिलाया जा सके।
*”जल ही जीवन है”*
पवन कुमार चौरसिया ब्यूरो चीफ अयोध्या।
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