राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि) बारां छीपाबड़ौद बारिश के नहीं आने से किसानों के चेहरों पर छाईं मायूसी इंद्र देव की बेरुख़ी से खरीफ़ कि फ़सल खराब होने की चिंता से किसान परेशान।छीपाबडौद तहसील क्षेत्र में बारिश नही होने के कारण किसान के मुँह पर कहावत है। ” कब बरसों गा म्हारा इंद्रराजा ” यह लोकगीत ग्रामीण अंचल में लोकप्रिय होता जा रहा है सावन के तीन सोमवार बीत गये पर क्षेत्र में इंद्रदेव की मेहरबानी नही होने से क्षेत्र के काश्तकार खरीफ़ की फ़सल को बचाने की चिंता किसान के चेहरे पर दिखने लगी है। ग्रामीण अंचल में बरसात को लेकर धर्मिक अनुष्ठान पूजा पाठ दुआ मन्नतें करके भी सावन माह सूखा बीत गया आसमान में बादल उमड़ते है फिर दिन चढ़ने के साथ धूप खिलने से किसान के चेहरे मुरझा जाते है।छीपाबडौद उपखण्ड की दर्जन भर से अधिक ग्राम पंचायतों के काश्तकार इंद्रदेव की बेरुख़ी से चिंतित है जँहा क्षेत्र में सोयाबीन व मक्का की फसल का रकबा अधिक होने व खेतों में बुआई हुऐ एक माह बीत जाने से व बरसात नही होने से खरीफ़ की फ़सल ख़राबे की और जा रही है जँहा सोयाबीन की पौध औसत ऊँचाई तक नहीँ पहुँच पाई वही मक्का के पत्ते पीले होकर फसल मुरझा के पशुओं का चारा बनती जा रही है । वहीँ कुछ काश्तकार फसल को बचाने के लिये बरसात के भरोसे ना रहकर बोरवेल व कुओं में इंजनों से फसल को पानी देने की जुगत में लग गये है । वहीं क्षेत्र के काश्तकारो को खरीफ़ की फ़सल से ना के बराबर उम्मीदें बची हुई है और कर्जा बढ़ने लगा है।
रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छीपाबड़ौद
You must be logged in to post a comment.