“शौक नहीं मजबूरी है, पुरानी पेंशन ज़रूरी है” 60 लाख कर्मचारी पेंशन बिहीन है । जय प्रकाश मिश्रा मिडिया प्रभारी जौनपुर

उत्तर प्रदेश ( दैनिक कर्मभूमि)जौनपुर
भारत देश में सरकारी कर्मचारी कह रहे हैं कि अपना नया स्किम अपने पास ही रखो और हमारी पुरानी पेंशन ही मुझे वापिस कर दीजिए कर्मचारीयों ने भारत सरकार को सीधे चुनौती दे रहे हैं कि पुरानी पेंशन बहाल किया जाए नहीं तो हम वोट नहीं देंगेसे देश के तमाम सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को खत्म कर दिया गया है। अब पेंशन केंद्र सरकार की नई पेंशन स्कीम के तहत मिलती है जिसमें कुछ पैसा कर्मचारियों का कटता है और कुछ नियोक्ता देता है लेकिन इस पेंशन स्कीम से कर्मचारी खुश नहीं हैं और वे पुरानी पेंशन की बहाली की मांग कर रहे हैं। मेरा निजी मानना है कि 60 लाख कर्मचारी सरकार बना भी सकते हैं और सरकार गिरा भी सकते हैं, इसलिेए कि वो उसी पार्टी को वोट करेंगे जो पुरानी पेंशन को बहाल करेगी।
सभी सरकारी कर्मचारी अपने जिंदगी पुरी इसी में कार्यरत रहते गुजार देते हैं सरकार यह घोर अन्याय और घृणित कार्य कर रही है अगर सरकारी कर्मचारीयो को पेंशन कि योजना नहीं है तों सभी पूर्व विधायक सांसद और मंत्री एवं मुख्यमंत्री जी का भी पेंशन काट देना चाहिए क्यू कि यह सभी केवल पांच साल के लिए प्रतिनिधि चुने जाते हैं और इन सभी को पेंशन आजीवन यह सरासर नाइंसाफी हैं गलत कानुन है इस पर भारत सरकार को अवश्य विचार करना चाहिए
1- पुरानी पेंशन पाने वालों के लिए जी0 पी0 एफ0 सुविधा उपलब्ध है जबकि नई पेंशन योजना में जी0 पी 0एफ0 नहीं है। जी0 पी0 एफ0 पर ब्याज दर निश्चित है जबकि एन0 पी0 एस0 पूरी तरह शेयर पर आधारित है।
2- पुरानी पेंशन वालों के परिवार वालों को सेवाकाल में मृत्यु पर डेथ ग्रेच्युटी मिलती है जो सातवें वेतन आयोग ने 10 लाख से बढाकर 20 लाख कर दिया है जबकि नई पेंशन वालों के लिए डेथ ग्रेच्युटी की सुविधा अभी हाल ही में की गयी है। 3- पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेन्ट के समय एक निश्चित पेंशन (अन्तिम वेतन का 50%) की गारंटी थी जबकि नई पेंशन योजना में पेंशन कितनी मिलेगी यह निश्चित नहीं है यह पूरी तरह शेयर मार्केट व बीमा कम्पनी पर निर्भर है।4- पुरानी पेंशन सरकार देती है जबकि नई पेंशन बीमा कम्पनी देगी। यदि कोई समस्या आती है तो हमें सरकार से नहीं बल्कि बीमा कम्पनी से लड़ना पडेगा।
5-पुरानी पेंशन पाने वालों के लिए रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी ( अंतिम वेतन के अनुसार 16.5 माह का वेतन) मिलता है जबकि नयी पेंशन वालों के लिये ग्रेच्युटी की व्यवस्था सरकार ने हाल ही में की है।6- पुरानी पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं होती है जबकि नयी पेंशन योजना में वेतन से प्रति माह 10% की कटौती निर्धारित है ।
7- पुरानी पेंशन में आने वाले लोगों को सेवाकाल में मृत्यु होने पर उनके परिवार को पारिवारिक पेंशन मिलती है जबकि नयी पेंशन योजना में पारिवारिक पेंशन को समाप्त कर दिया गया है, लेकिन अब सरकार इस पर विचार कर रही है।
8- पुरानी पेंशन पाने वालों को हर छह माह बाद महँगाई तथा वेतन आयोगों का लाभ भी मिलता है जबकि नई पेंशन में फिक्स पेंशन मिलेगी। महँगाई या वेतन आयोग का लाभ नहीं मिलेगा। यह एक बहुत बड़ा नुकसान है।
9- पुरानी पेंशन योजना वालों के लिए जी0 पी0 एफ0 से आसानी से लोन लेने की सुविधा है जबकि नयी पेंशन योजना में लोन की कोई सुविधा नही है (विशेष परिस्थिति में कठिन प्रक्रिया है केवल तीन बार वह भी रिफण्डेबल)।
11-पुरानी पेंशन योजना में जी0 पी0 एफ0 निकासी (रिटायरमेंट के समय) पर कोई आयकर नहीं देना पडता है जबकि नयी पेंशन योजना में जब रिटायरमेंट पर जो अंशदान का 60% वापस मिलेगा उसपर आयकर लगेगा |
केंद्रीय ट्रेड यूनियन सीटू के नेता मनोहर लाल मालकोटीया ने न्यूज़क्लीक से बात करते हुए कहा कि सरकार कह रही है कि कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए बजट नहीं है लेकिन वो लगतार उद्योगपतियों को आर्थिक मदद दे रही है। एक तरफ तो सरकार लगतार पक्की नौकरियों को खत्म कर रही है दूसरी तरफ बीजेपी की राज्य सरकारों में करीब 40-50% कर्मचारी ठेके पर हैं। केंद्र सरकार ने स्पष्ट रूप से राज्य की सरकारों को निर्देशित किया है कि केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में ठेकेदारी पर रोज़गार दिया जाए। ऐसे कर्मचारियों को अपने निजी नियोक्ताओं (ठेकेदार) से कम वेतन मिलता है, व्यावहारिक रूप से कोई लाभ नहीं होता है और नौकरी की सुरक्षा भी नहीं होती है। पिछले एक दशक में राज्यों के नियमित कर्मचारियों की संख्या लगभग 82 लाख से घटकर 60 लाख हो गई है। यह मुख्य रूप से इसलिए हुआ है क्योंकि केरल को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में सरकारी नौकरियों को आउटसोर्स किया गया ह