आत्महत्या निंदनीय कदम है ! डॉ श्री निवास तिवारी .

उत्तर प्रदेश ( दैनिक कर्मभूमि)जौनपुर

प्रत्येक वर्ष दस सितम्बर को आत्महत्या रोकथाम दिवस का आयोजन पूरे वैश्विक स्तर पर किया जाता है । आत्महत्या निराशा और हतोत्साह में उठाया गया एक ऐसा निंदनीय कदम है, जिसमें आत्महत्या करने वाला व्यक्ति अपने साथ साथ अपने समस्त अर्जित व्यक्तित्व का भी सर्वनाश कर देता है । समाज में तेजी से फैल रहे इस घृणित विचारधारा को ठोस कदम उठाकर समाप्त करने की आवश्यकता है । हम सबने देखा है कि आत्महत्या कैसे सामाजिक अभिशाप के रूप में कार्य करती है । यदि उदाहरण पर जाए तो पी डब्लू डी विभाग की महिला प्रशासनिक अधिकारी मृणालिका सिंह हो या बॉलीवुड के अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत हो ,ऐसे कई जाने माने नाम रहे जिन्होंने आत्महत्या करके समाज को ये सोचने पर विवश कर दिया कि आत्महत्या ना सिर्फ एक परिवार के लिए अपितु समस्त समाज के लिए अत्यन्त कष्टकारी है । आत्महत्या जैसे गंभीर मुद्दे पर खुलकर बहस होनी चाहिए , चर्चा होनी चाहिए । ऐसे सभी अवसादग्रस्त व्यक्तियों की काउंसलिंग होनी चाहिए जो सामाजिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ है । आत्महत्या करने के कारणों कि बात करे तो ,आधुनिक माहौल में गिरता पारिवारिक संपर्क , लोगो में आपसी द्वंद्व और वर्तमान तकनीकी जो केवल मानवी सभ्यता को प्रभावित कर रहा , हमें संकुचित सोच की तरफ अग्रसर कर रही , इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है । ऐसे समस्त समस्याओं के निदान हेतु प्रशासनिक स्तर से प्रयास जरूरी है ,साथ ही जितने भी सामाजिक संगठन है उन्हे आगे आकर आत्महत्या जैसे जघन्य कृत को रोकने हेतु जनजागरूकता प्रसारित करने की आवश्यकता है । इस क्रम में यूनिसेफ एवं एन. एस .एस. के संयुक्त तत्वावधान में मुस्कराएगा इंडिया इनिशिएटिव के द्वारा पूरे प्रदेश में मेंटल हेल्थ काउंसलर्स के द्वारा अवसादग्रस्त लोगो की काउंसलिंग भी की जा रही जिसके सार्थक परिणाम आ रहे ।
—— डॉ श्री निवास तिवारी ( मेंटल हेल्थ काउंसलर एवं पी ओ एन एस एस कुटीर पी जी कॉलेज चक्के, जौनपुर )