*अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र पर रविवार को विश्व एड्स दिवस मनाया वार्ता के माध्यम से दी लोगों को जानकारी।*

राजस्थान (दैनिक कर्मभूमि) बारां छबड़ा छबड़ा:श्री हनुमान सिद्ध साधना आश्रम भुवाखेड़ी पर संचालित अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र,अमीरपुर खेड़ी केंद्र पर रविवार को विश्व एड्स दिवस मनाया गया।योग संग़ठन मंत्री परमानन्द शर्मा के अनुसार अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र से प्रवास पर गये अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र के कार्यकारी अध्यक्ष शंकर लाल नागर नें सदस्यों को वाट्सप पर एड्स वार्ता के अंश ओर सन्देश भेज कर सदस्यों से इस अवसर पर आम लोगों को जानकारी देंनें की अपील की गयीं।शर्मा नें कहा कि नागर नें अपनें वाट्सप वार्ता में भेजें सन्देश में बताया कि एड्स असुरक्षित यौन समंध से,एड्स दूषित संक्रमित नशे से,बिना जांच अन्य व्यक्तियों के रक्त के आधान से, एड्स रोगी से सम्पर्क के गर्भावस्था से,गैर बांझ उपकरण के असुरक्षित प्रयोग ओर विभिन्न अनेक कारणों से समाज के अन्य लोगों में अज्ञानता वश समंध बना लेने से ही फैलता है।

नागर नें कहा कि भ्रांतियों से घबरावें नही यह रोग एड्स रोगी को छूने से,साथ भोजन खाने-पीने से एक दूसरे एड्स रोगी के चुम्बन कर लेने से किसी रोगी के कीड़े के काटने से ओर फिर अन्य को कीड़े के काटने से या साथ-साथ नहाने,साबुन,तेल आदि लगानें के कारणों से नही फैलता है।समाज में अनेक भ्रांतियां होनें से एड्स रोगी का पता चलने पर उससे लोग घृणा करनें लगते है ओर समाज के लोग उससे दूरी बना लेते है जिससें एड्स रोगी के मन में निराशा ओर हतासा जन्म ले लेती है और कालांतर में लोगों की दूरी बनाये रखने की नफरत की वजय से रोगी भयभीत ओर निराश होनें लगता है जिससे उसका रोग बढ़ जाता है और यहां तक उसकी निराशा से मृत्यु तक हो जाती है।नागर ने कहा कि विज्ञान के युग में लोगों को सुनी सुनाई बातों के आधार पर कोई भी स्थाई धारणा नही बनानी चाहिये बल्कि वैज्ञानिक सोच ओर डॉक्टरी जांच को ही आधार बनाना चाहिये ओर चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिये सभी वर्ग और समाज में प्रबुद्ध नागरिकों ओर शिक्षित लोगों को युवापीढ़ी को बिना शर्म किये एड्स रोगों के बचाव के लिए युवक-युवतियों को जानकारी देकर आम लोगों में जन जागृति फैलाई जानी चाहिए बिना जानकारी ओर समुचित उपाय के अभाव में इस तरह के गंभीर रोगों पर विजय नही पायीं जा सकती है जागरूकता ही बचाव का साधन है 1 दिसम्बर को भारत ही नही विश्व भर में एड्स दिवस मनाया जाता है इसे एक दिन की मुहिम नही समझ बल्कि सतत कार्य करनें की जरूरत है सभी समाजों के वरिष्ठ नागरिकों को समाज सुधार हेतु सामुहिक ओर सतत प्रयास कर नया समाज बनानें की जरूरत है।आज के भौतिक युग में बहुत देर से लड़के-लड़कियों के विवाह होनें से भी महिलाओं के प्रति यौन अपराध बढ़ रहे है ओर आदमी मदान्त हो पशुवत व्यवहार की ओर अग्रसर हो गया है पुरुष और महिलाओं का लैंगिक गैप भी अपराध को जन्म दे रहा जो सभी नागरिकों ओर सरकार के लिए भी विचारणीय प्रश्न है अपराधों को दण्ड से रोका जाना संभव नही फिर भी रैप ओर बलात्कारी को मौत की सजा से कम दण्डित नही किया जाना चाहिये।आज के राजसिक ओर तामसिक भोजन से भी अपराध उतपन्न हो रहे है सभी समाजों में योन अपराध भी बढ़ रहे है इसे आगे भी कानून से रोका जाना संभव नही है सर्व समाजों में उतपन्न संतानों में गर्भ से लेकर 18 वर्ष तक कि आयु तक यौगिक विवेक के जागरण की जरूरत है। खाओ-पीओ,मौज उड़ाओ विदेशी संस्कृति से युवाओं को मुक्त करना होगा आज देश को पुनःशिवाजी,लाल

बहादुर,विवेकानंद,राम,कृष्ण,गुरु गोंविन्द,रामानन्द,राजा राम मोहन राय,महर्षि अरविंद जैसे अवतारी,पंडित मदन मोहन मालवीय,राम भक्त हनुमान जैसे अवतारी महापुरुषों ओर सती अनुसूसिया,नर्वदा,सीता,सावित्री,राधा,तारा,मंदोदरी,दुर्गावती,झांसी की रानी,जीजाबाई,मीरां,कर्मावती,पदमावती,पन्नाधाई जैसी माताओं की जरूरत आन पड़ी है हर वर्ग और मजहब के व्यक्ति को अपराधों पर अंकुश लगानें के लिए काम करना होगा।आधुनिक समाज के युवाओं में आहार-विहार,आचार-विचार बदल रहे है जिसे भी सात्विक में बदलना होगा।मांस और शराब मनुष्य के लिए नही यह जानवरों ओर निशाचर प्रकृति का भोजन है इसपर भी सरकार को प्रतिबंध लगा देनीं चाहिये या मर्यादित कर देना चाहिये।नैतिक चरित्र के विकास की शुरुवाद स्वयं से करनी होंगी तभी सामने वाले पर अपने विचारों का प्रभाव पड़ सकेगा।संतो ने भी कहा है कि “हम सुधरेगें तो सुधरेगा संसार।”

*रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छबड़ा*